कंपनियों को कर्मचारी की छंटनी, MEDIA में विदेशी निवेश की छूट देने वाली है MODI GOV

नई दिल्ली। 5 राज्यों में मतदान पूर्ण हो चुका है। बस चुनाव परिणाम आना बाकी है और इसी के साथ 2 बड़े बदलाव भी आने वाले हैं। मोदी सरकार कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी करने की छूट देने जा रही है। इसके तहत कंपनी संचालक कभी भी कर्मचारियों को काम से बर्खास्त कर सकेंगे। मोदी सरकार प्रिंट मीडिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की लिमिट 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने जा रही है। इसके साथ ही कई सारे विदेशी मीडिया हाउस भारत में अपना प्रभुत्व बढ़ाएंगे। साथ ही, रिटेल में विदेशी निवेश की शर्तों में ढील दी जा सकती है, जिसके तहत विदेशी निवेश वाले फूड स्टोर में होम केयर प्रॉडक्ट रखने की इजाजत भी दी जा सकती है।

दिल्ली के पत्रकार श्री जोसफ बर्नार्ड की रिपोर्ट के अनुसार 5 राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद अगले कुछ हफ्ते इकनॉमिक रिफार्म के मद्देनजर काफी हलचल भरे रहने वाले हैं। इन आर्थिक सुधारों से जुड़े कदमों की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सरकार इन कदमों का ऐलान चुनावी नतीजों के बाद करेगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन सुधारों पर चुनावी नतीजों का कोई असर नहीं होगा। सरकार ने पहले ही इनके बारे में रूपरेखा तैयार कर दी थी। चुनाव के आचार संहिता के कारण इन फैसलों को अभी तक टाला गया।

इंडस्ट्री और मजदूर संगठनों के साथ तालमेल
सूत्रों के अनुसार, आर्थिक सुधार से जुड़े कदमों को लेकर उद्योगों और मजदूर संगठनों के लोगों के साथ बातचीत हो चुकी है। हालांकि, मजदूर संगठनों ने लेबर रिफॉर्म को लेकर कुछ आशंकाएं जाहिर की हैं। सरकार इन आशंकाओं को दूर करते हुए अंतिम फैसला लेगी। श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय का कहना है कि हमारे लिए मजदूरों के हित सर्वोपरि हैं। ऐसे में हर फैसले में उनके हितों का ध्यान रखा जाएगा। लेबर रिफॉर्म के तहत सरकार की 44 श्रम कानूनों को 4 आसान लेबर कोड में बदलने की योजना है। नए कानूनों के तहत छोटी फैक्ट्रियों के कानून के जरिये 14 से कम कर्मचारियों के लिए यूनियन बनाना मुश्किल हो जाएगा और 300 तक कर्मचारियों वाली कंपनियों में बिना अनुमति छंटनी हो सकेगी।

मीडिया में विदेशी निवेश
मोदी सरकार भारतीय मीडिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की लिमिट बढ़ाने जा रही है। फिलहाल यह लिमिट 26 प्रतिशत है। सरकार इसे 49 प्रतिशत करने वाली है। इस तरह के भारतीय मीडिया पर विदेशी मीडिया संस्थानों का दखल बढ़ जाएगा। स्वभाविक है निवेशक अपने फायदे के लिए काम करेंगे और पत्रकारिता कुछ और ज्यादा दूषित होगी। पत्रकार संगठन सरकार के इस कदम का पहले भी विरोध करते रहे हैं। इस बार देखना रोचक होगा कि क्या सरकार पर कोई दवाब बनाया जा सकेगा। 

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