ICDS SCHEME की अफवाह/खबरों पर महिला और बाल विकास मंत्रालय का स्पष्टीकरण

कुछ समाचार पत्रों और मीडिया चैनलों में महिला और बाल विकास मंत्रालय की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के अंतर्गत नकद अंकरण (कैश ट्रांसफर) और कार्यक्रम के अंतर्गत लाभ लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से संबंधित खबरें आई हैं। यह खबर भी दी गई है कि सरकार द्वारा 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए सूखा राशन देने के स्थान पर नकद अंतरण किया जाएगा। तथ्यात्मक रूप से यह पूरी तरह गलत है। इसलिए यह स्पष्ट किया जाता है:

आईसीडीएस के अंतर्गत 6 से 36 महीने की आयु के बच्चों को( कुपोषण के शिकार बच्चों सहित) तथा गर्भवती महिला , दुग्धपान कराने वाली महिलाओं को घर ले जाने के राशन के रूप में पूरक आहार  प्रदान किया जाता है। लेकिन 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में पका-पकाया खाना दिया जाता है। 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को पका-पकाया खाना मिलता रहेगा। वर्तमान में इसे नकद अंतरण में बदलने की कोई योजना नहीं है।

घर ले जाने के राशन (टीएचआर) की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसलिए, सरकार प्रणाली में सुधार करने और पारदर्शी बनाने के उपायों पर विचार कर रही है। सरकार एक विकल्प के रूप में चयनित जिलों में पायलट आधार पर टीएचआर के बदले सशर्त नकद अंतरण  की संभावना भी तलाश रही है।  लेकिन इस संबंध में अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के सेक्शन 39 के अंतर्गत महिला और बाल विकास मंत्रालय को आइसीडएस के अंतर्गत पूरक पोष्टिकता नियम को अधिसूचित करने का दायित्व प्राप्त है। पहली बार ये नियम 8-6-2015 को बनाये और अधिसूचित किए गये। राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम के सेक्शन 8 के अंतर्गत यदि लाभार्थी को राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम के अंतर्गत खादान्न नहीं दिया जाता तो वह खाद्य सुरक्षा भत्ता पाने का पात्र है। खाद्य सुरक्षा भत्ता से संबंधित यह धारा 20-2-2017 को अधिसूचित एसएनपी नियमों में शामिल की गयी है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 खाद्य सुरक्षा भत्ता के भुगतान का अधिकार देता है और एसएनपी के बदले में सशर्त नकद अंतरण से इसका कोई लेना देना नहीं है।

आधार के अभाव में आईसीडीएस के अंतर्गत किसी को लाभों से वंचित नहीं किया जाएगा
डिलिवरी प्रणाली में चोरी को नियंत्रित करने और पारदर्शिता लाने में आधार के प्रभाव पर विचार करते हुए सरकार ने हाल में भारत की आकस्मिक निधि से धन पोषित अनेक कल्याणकारी योजनाओं में आधार के इस्तेमाल का आदेश जारी किया है। यद्यपि इन आदेशों के अतंर्गत कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए आधार संख्या देना आवश्यक है फिर भी यह सुनिश्चित किया गया है कि आधार के अभाव में किसी को लाभों से वंचित नहीं किया जायेगा। आधार (नामांकन और अपडेट) विनियम 2016 के विनियम 12 के अंतर्गत लाभार्थियों को आधार नामांकन सुविधा प्रदान करने का दायित्व विभागों को दिया गया है ताकि आधार के अभाव में कोई लाभार्थी लाभों से वंचित न हो।
6 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए माता पिता/कानूनी अभिभावक से संबंध के प्रमाण के रूप में जन्म प्रमाण पत्र या आधार नामांकन के लिए अनुरोध और उसके बाद दी गयी रसीद, बैंक पास बुक, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड, किसान फोटो पासबुक, पैन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड प्रस्तुत किया जा सकता है। यह प्रावधान भी किया गया है कि व्यक्ति को आधार संख्या दिए जाने तक पहचान के अन्य विकल्पों के आधार पर लाभ दिये जाते रहेंगे। उदाहरण के लिए एकीकृत बाल विकास योजना के अंतर्गत आंगनवाडियों से बाल लाभार्थियों की आधार संख्या एकत्रित करने को कहा गया है और यदि किसी बच्चे का आधार नहीं होता तो आईसीडीएस के कर्मीँ आधार नामांकन सुविधा देंगे और आधार नंबर प्राप्त नहीं होने तक उसे लाभ दिये जाते रहेंगे।
माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष महाराष्ट्र सरकार सहित विभिन्न पक्षों द्वारा मामले दायर किये गये हैं। 3-3-2017 को एटार्नी जनरल ने कहा कि हलफनामे में सरकार की नीति कवर की जाएगी। इसके लिए उन्होंने समय मांगा।

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