fabindia खादी का टैग लगाकर कॉटन बेच रही थी: आरोप

शांभवी आनंद/नई दिल्ली। खादी ग्रामोद्योग आयोग के नोटिस के बाद फैबइंडिया ने अपने प्रॉडक्ट्स के प्राइस टैग से खादी शब्द हटाना शुरू कर दिया है। आयोग ने 2015 में फैबइंडिया को उसके किसी भी प्रॉडक्ट पर खादी शब्द का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी थी। आयोग के कानूनी नोटिस में बताया गया कि फैबइंडिया की तरफ से बेचे गए कपड़े और उनके प्राइस टैग की पड़ताल से पता चला है कि कपड़ों पर लेबल 'फैबइंडिया कॉटन' नाम से था, जबकि प्राइस टैग में 'खादी' शब्द था।

फैबइंडिया के सीईओ विनय सिंह ने बताया, 'फैबइंडिया को खादी ग्रामोद्योग की तरफ से 8 फरवरी 2017 को जारी नोटिस मिला है और इसका जवाब दिया गया है। हमने अपनी स्थिति साफ करने और मामले को सुझाने के लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग के संबंधित अधिकारी से मिलने का वक्त मांगा है। हम मुलाकात के अनुरोध को लेकर जवाब का इंतजार है।'

उन्होंने कहा, 'एक संस्था के तौर पर फैबइंडिया ने हमेशा से इस विजन और खादी ग्रामोद्योग की नीयत को अहमियत दी है। हमने शुरुआत से ही यानी पिछले 57 साल से खादी ग्रामोद्योग आयोग के साथ मिलकर काम किया है। हम इसके जल्द निपटारे की उम्मीद कर रहे हैं।'

मामले से वाकिफ एक शख्स ने बताया कि हर प्रॉडक्ट से इस शब्द को हटाने की प्रक्रिया लंबी है और इसमें वक्त लग रहा है। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने हाल में इस रिटेलर को लीगल नोटिस भेजा था। इसमें कहा गया था कि कंपनी सरकारी संस्था से बिना मंजूरी के खादी का इस्तेमाल कर रही है।

खादी ग्रामोद्योग आयोग केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय के तहत स्वायत्तशासी संस्था है। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने आरोप लगाया है कि फैबइंडिया ने भारत सरकार की एमएसएमई मिनिस्ट्री की तरह से तैयार खादी मार्क रेग्युलेशन 2003 के नियम 3 का उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी कपड़ा कमिटी के सर्टिफिकेशन के बिना खादी या खादी के प्रॉडक्ट्स के तौर पर नहीं बेचा जाएगा।
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