नईदिल्ली। आरक्षण मामले में एक बार फिर आरएसएस को यूटर्न लेना पड़ा। 4 राज्यों में चल रहे चुनाव के दवाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य अपने बयान पर 4 घंटे भी टिके नहीं रह पाए। सफाई देने के लिए उन्हे वापस मीडिया के सामने आना पड़ा। वैद्य ने खुद ही सफाई देते हुए कहा है कि जब तक जातिगत भेदभाव व गैर बराबरी है, तब तक आरक्षण रहना जरूरी है।
उन्होंने साफ किया है कि उनका बयान अल्पसंख्यक आरक्षण को लेकर था जिसे गलत ढंग से पेश किया गया। जयपुर साहित्योत्सव में भाग लेने गए वैद्य ने आरक्षण के मुद्दे पर कहा था कि आरक्षण से अलगाववाद बढ़ता है और एक समय के बाद उसे समाप्त कर देना चाहिए। वैद्य के इस बयान के आते ही सियासी तूफान खड़ा हो गया और भाजपा नेतृत्व के हाथ पांव फूल गए।
बिहार के चुनावों के ठीक पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत के संघ की पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में भी आरक्षण की खिलाफत की गई थी, जिसका बड़ा खामियाजा भाजपा को चुकाना पड़ा था। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ भी किया था कि आरक्षण को कोई भी खत्म नहीं कर सकता है, लेकिन भाजपा को बड़ा चुनावी नुकसान हुआ था। अब उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले संघ प्रवक्ता का बयान उसकी गले की हड्डी बन सकता है।
सूत्रों के अनुसार बयान के बाहर आते ही विपक्षी नेताओं ने संघ से लेकर भाजपा पर जम कर निशाना साधना शुरू कर दिया, जिसके भाजपा नेताओं के माथे पर बल आ गए। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर उड़ीसा यात्रा पर गए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसका तत्काल संज्ञान लिया और संघ पर दबाब बनाया कि खुद वैद्य बिना देर लगाए सफाई दें और इसका खंडन करें।
वैद्य ने अपनी सफाई में कहा है कि संघ हमेशा से आरक्षण का पक्षधर रहा है। जयपुर साहित्योत्सव में सवाल धार्मिक आरक्षण को लेकर था। संघ का मानना है कि ऐसी कोई एतिहासिक पृष्ठभूमि नहीं रही है, जिससे धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाए।