शिक्षा विभाग में 125 करोड़ का वेतन घोटाला, 10 हजार अध्यापक शामिल

भोपाल। प्रदेश के करीब 10 हजार अध्यापकों को संवर्ग गठन (वर्ष 2007) के 6 साल पहले से नियमित वेतनमान दिया जा रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब बाबुओं ने छठवें वेतनमान की गणना की और इसमें इन अध्यापकों के अब तक छह इंक्रीमेंट लेने की जानकारी सामने आई। यह करीब 125 करोड़ का वेतन घोटाला है जिसमें 10 हजार अध्यापकों समेत कई क्लर्क और अधिकारी शामिल हैं। 

प्रदेश में कुल दो लाख 84 हजार अध्यापक हैं। नियमित वेतनमान स्थानीय स्तर पर जिला पंचायत सीईओ और जिला शिक्षा अधिकारियों की रजामंदी से दिया गया था। उन्हें यह लाभ देने से पहले अफसरों ने स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों से सलाह तक नहीं ली थी। राज्य में 1998 से संविदा शिक्षकों की भर्ती शुरू हुई। सरकार ने 2007 में अध्यापक संवर्ग बनाया और 3 साल की परिवीक्षा अवधि पूरी करने पर संविदा शिक्षकों को इस संवर्ग में शामिल करने के निर्देश दिए गए।

लेकिन 1998 में नियुक्त शिक्षकों ने स्थानीय अधिकारियों से सांठगांठ कर संवर्ग का लाभ नियुक्ति दिनांक से ले लिया। छह साल का अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिलने के कारण इन शिक्षकों का वेतन दूसरों की तुलना में ज्यादा हो गया है।

ऐसे मिला संवर्ग का लाभ
विभागीय सूत्र बताते हैं कि 2007 में संवर्ग बनने के बाद इसके नियमों की अफसरों ने इस तरह व्याख्या की, जिससे संवर्ग बनने के बाद के बजाय पहले से ही लाभ दिया गया। नतीजा ये हुआ कि लाभ लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गई, जो दस हजार तक पहुंच गई।

वेतन मद से दे दिया एरियर
संविदा शिक्षकों को 2010 और 2011 में यह लाभ 2001 से दिया गया। ऐसे में संबंधित अध्यापकों का एरियर भी देना पड़ा। अफसरों ने वेतन मद से इस राशि का भी भुगतान कर दिया। एक अध्यापक को 60 हजार से सवा लाख तक एरियर मिला था।

इन जिलों में हुई गड़बड़ी
समय से पहले संवर्ग का लाभ लेने वालों में इंदौर, शाजापुर, छिंदवाड़ा, बैतूल, जबलपुर, नरसिंहपुर, सागर सहित अन्य जिलों के अध्यापक शामिल हैं।

छठवें वेतनमान में गड़बड़ी
छह साल अतिरिक्त इंक्रीमेंट लगने के कारण इन अध्यापकों का वेतन दूसरों की तुलना में ज्यादा है। ऐसे अध्यापक ही छठवें वेतनमान में विसंगति बता रहे हैं। दरअसल, सरकार ने 2007 के हिसाब से ही वेतन की गणना कर पत्रक जारी किया है। जिसमें अतिरिक्त इंक्रीमेंट का हिसाब गड़बड़ा गया है।

इनका कहना है
जिलों से कुछ रिपोर्ट्स आई है, उनका परीक्षण करा रहे हैं कि किस कारण से ऐसा हुआ है। परीक्षण में स्थिति साफ होने के बाद ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दीप्ति गौड़ मुकर्जी, 
प्रभारी अपर मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग

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