मैं बताता हूं, व्यापमं के मास्टर माइंड से शिवराज सिंह के रिश्तों का राज

माननीय डीआईजी महोदय,
सीबीआई (व्यापमं)
प्रोफेसर कॉलोनी, भोपाल (म.प्र.)

विषय: आपके अधीनस्थ जारी व्यापमं महाघोटाले की जांच में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की महती भूमिका के अनुसंधान किये जाने बाबत्। 

मान्यवर,
प्रदेश को शर्मसार कर देने वाले व्यापमं महाघोटाले के जेल में बंद मास्टर माइंड नितिन महिन्द्रा और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की निकटता को लेकर मेरे द्वारा दी जा रही अधिकृत जानकारी को कृपापूर्वक आपके द्वारा किये जा रहे सूक्ष्म अनुसंधान में शामिल करने की कृपा करें कि क्या मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के व्यापमं महाघोटाले के मास्टर माइंड और व्यापमं के चीफ सिस्टम एॅनालिस्ट नितिन महिन्द्रा को पहले से संबंध थे?

दरअसल, नितिन महिन्द्रा व्यापमं महाघोटाले के जमानत पर रिहा आरोपी डॉ. अजय शंकर मेहता के निकटतम मित्र हैं। डॉ. अजय शंकर मूल रूप से अस्थि विभाग के चिकित्सक होकर मुख्यमंत्री के विश्वास पात्र पारिवारिक संबंधों वाले व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री से इनकी निकटता तब और अधिक प्रगाढ़ हुई जब तत्कालीन विदिशा सांसद के रूप में श्री शिवराजसिंह चौहान एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुये थे। तब राजधानी भोपाल के महात्मा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में पदस्थ डॉ. अजयशंकर मेहता ने इनका संपूर्ण इलाज किया था। तभी से मुख्यमंत्री और डॉ. मेहता की निकटता और अधिक प्रगाढ़ हो गई। 

चूंकि डॉ. मेहता और व्यापमं महाघोटाले के मास्टर माइंड नितिन महिन्द्रा भी बहुत पहले से एक दूसरे के परममित्र हैं। लिहाजा, डॉ. मेहता से मुख्यमंत्री की नजदीकियों की जानकारी होने का लाभ उठाते हुए महिन्द्रा ने डॉ. मेहता को मुख्यमंत्री से अपने अच्छे संबंध अहसास कराते हुए इस बात का विश्वास दिलाया कि विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम बनाने का काम लेकर हमारे द्वारा काफी पैसा अर्जित किया जा सकता है, यह कहकर व्यापमं में पदस्थ रहते हुए नितिन महिन्द्रा ने डॉ. मेहता को कम्प्यूटर एजेंसी खुलवा दी, जबकि वे एक अस्थि विशेषज्ञ हैं और कम्प्यूटर व्यवसाय से उनका कोई सरोकार नहीं रहा है। 

इस कंपनी के माध्यम से कई शासकीय विश्व विद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं का काम भी डॉ. मेहता की कम्प्यूटर कंपनी ने किया। स्वयं डॉ. मेहता ने भी एसटीएफ को दिये गये संलग्न बयान जो माननीय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, भोपाल के समक्ष एसटीएफ द्वारा प्रस्तुत चालान क्र.03/14, दिनांक 14.5.14 में भी उल्लेखित हैं। उसमें उन्होंने दिनांक 12 अप्रैल, 2014 को दिये गये कथन में इस बात को स्वीकारा है कि ‘‘मैं पेशे से अस्थि रोग विशेषज्ञ हूं। वर्ष 2006 में मैंने एटीएस (ऑटोमेटिक ट्रस्टेड साल्यूशन) को प्रारंभ किया, जिसमें डाटा डिजिटलाईजेशन सॉफ्टवेयर डेब्ल्पमेंट का कार्य किया जाता है। जिसमें 8-10 कर्मचारी कार्य करते हैं, इस कार्यालय में रिजल्ट प्रोसेसिंग कार्य, डाक्युमेंट डिजिटलाईजेशन सॉफ्टवेयर डेब्ल्पमेंट का कार्य भी किया जाता रहा है। वर्ष 2011-12 में संस्कृत बोर्ड के रिजल्ट प्रोसेसिंग का काम भी मेरी फर्म को मिला था। यही कार्य वर्ष 2012-13 में हैदराबाद की फर्म हाईटेक को मिला और हाईटेक हैदराबाद द्वारा मेरी फर्म से लोकल पार्टनर बनाने का एग्रीमेंट हुआ।’’ 

मेरी जानकारी के अनुसार डॉ. मेहता की इस कंपनी में न केवल नितिन महिन्द्रा की माँ अथवा बहन भी पार्टनर रहे हैं, बल्कि वर्ष 2008 में संपन्न विधानसभा चुनाव में नितिन महिन्द्रा और डॉ. मेहता ने अपनी महती भूमिका निभाते हुए एटीएस कंपनी के माध्यम से प्रचार-प्रसार की कमान संभालते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की पूरी मदद भी की थी, जिससे प्रभावित होकर मुख्यमंत्री ने डॉ. मेहता को जन अभियान परिषद का, जिसके पदेन अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होते हैं, का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था, जो उनकी गिरफ्तारी तक उन्हें प्राप्त था।

यही नहीं, मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने नितिन महिन्द्रा को भी उपकृत करने के लिए वर्ष 2008 में संपन्न विधानसभा चुनाव में प्राप्त सफलता का कर्ज चुकाते हुए यह निर्णय लिया था कि प्रदेश की सारी प्रतियोगी परीक्षाऐं अब व्यापमं के ही माध्यम से ही होंगी। 

यही नहीं व्यापमं में कम्प्यूटर खरीदी घोटाले में भी नितिन महिन्द्रा आरोपी था, किंतु मुख्यमंत्री ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए नितिन महिन्द्रा और अजय सेन के विरूद्ध शासन के माध्यम से अभियोजन की स्वीकृति अस्वीकार करा दी और अभियोजन नहीं होने दिया। यदि उसी समय अभियोजन की स्वीकृति दे दी जाती तो इतना बड़ा घोटाला नहीं होता। यहां यह उल्लेखनीय है कि व्यापमं घोटाला उजागर होने के बाद उन्हीं तथ्यों के आधार पर नितिन महिन्द्रा और अजय सेन के विरूद्ध अभियोजन की स्वीकृति दे दी गई, क्योंकि मामले के व्यापक स्तर पर खुलासे के बाद मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें बचा पाना संभव नहीं था। 

मेरा यह भी आग्रह है कि यदि मुख्यमंत्री के राजधानी में श्यामला-हिल्स स्थित सरकारी आवास के विजीटर रजिस्टर की जांच की जाये तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि नितिन महिन्द्रा मुख्यमंत्री अथवा उनके परिजनों से मिलने कितनी मर्तबा मुख्यमंत्री निवास गये। उक्त उल्लेखित वृतांत से स्पष्ट होता है कि व्यापमं महाघोटाले के मास्टर माइंड नितिन महिन्द्रा और डॉ. अजय शंकर मेहता की मुख्यमंत्री श्री चौहान से जीवंत निकटता रही है। लिहाजा, उल्लेखित बिंदुओं को जांच प्रक्रिया में शामिल किये जाये ऐसा मेरा अनुरोध है।

मेरी समुचित प्रामाणिक और विनम्र जानकारी के अनुसार इस पूरे घोटाले के पर्दे के पीछे बड़े खिलाड़ी और डायरेक्टर सिर्फ और सिर्फ प्रदेश के मुखिया श्री शिवराजसिंह चौहान ही हैं। पकड़ में सिर्फ एक्टर आये हुए हैं। यदि सीबीआई अपनी जांच प्रक्रिया में उक्त उल्लेखित महत्वपूर्ण तथ्यों के प्रकाश में अपना अनुसंधान करती है, तो उक्त आरोप स्वतः प्रमाणित हो जायेंगे। 

मान्यवर, इसी के साथ मेरा एक ओर महत्वपूर्ण आग्रह है कि व्यापमं द्वारा आयोजित ‘‘वनरक्षक परीक्षा’’ में कमलेश नामक व्यक्ति का चयन प्रदेश के वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया की पत्नी श्रीमती सुधा मलैया की अनुशंसा पर हुआ था। एसटीएफ द्वारा कमलेश को छतरपुर से गिरफ्तार कर तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भी लिया गया था, उसने एसटीएफ को दिये गये अपने बयान में श्रीमती मलैया के माध्यम से ही अपने चयन का होना बताया था, किन्तु राजनैतिक दबाववश कमलेश को पुलिस रिमांड लेने के बावजूद भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत न करते हुए छोड़ दिया गया। यह सब राजनैतिक दबाववश किया गया है। 

जब व्यापमं घोटाले के जेल में बंद एक आरोपी बेदीराम के भतीजे दीपक जाटव को एसटीएफ ने 29 जुलाई, 16 को गिरफ्तार किया, 04 अगस्त, 16 तक उसे पुलिस रिमांड पर लिया, उसकी खूब पिटाई की, जब उसे भोपाल की जेएमएफसी कोर्ट में पेश किया, तो उसने माननीय न्यायाधीश के समक्ष एसटीएफ द्वारा उसके साथ की गई बर्बरतापूर्ण पिटाई का जिक्र किया था, तब माननीय न्यायालय ने उसे मेडीकल हेतु भेजा, मेडीकल रिपोर्ट में भी उसके साथ अमानवीय बर्ताव का जिक्र आया है, जिसे लेकर माननीय न्यायालय ने डीजीपी एसटीएफ को आगामी 16 अगस्त को इस विषयक अपना जबाव देने हेतु निर्देशित किया है। 

इस समूचे वृतांत के पीछे मेरी आपसे यही प्रार्थना है कि जब एक सामान्य आरोपी को एसटीएफ गिरफ्तारी के दौरान बेरहमी से पिटाई करती रही है और राजनैतिक दबाव के चलते एक मंत्री की पत्नी द्वारा चयनित प्रत्याशी को कैसे छोड़ रही है। लिहाजा, सीबीआई आरोपी कमलेश की गिरफ्तारी और उसके चयन को लेकर श्रीमती सुधा मलैया को भी तलब करे, ताकि सीबीआई की जांच की विश्वसनीयता स्थापित रह सके।

इसी के साथ मेरा एक और अन्य आग्रह है कि गत् सितम्बर/अक्टूबर-2013 में व्यापम घोटाले की जांच कर रही तत्कालीन एजेंसी एसटीएफ के एडीजी श्री सुधीर शाही के कहने पर व्हिसल ब्लोअर श्री प्रशांत पांडे ने एसटीएफ के भोपाल स्थित मुख्यालय और थाने पर माईक्रो फोन और स्पाई कैमरे लगाये थे, ताकि एसटीएफ द्वारा हाईप्रोफाईल आरोपियों के पुलिस रिमांड/अन्य पूछताछ के दौरान उनके बयान गोपनीय ढंग से रिकार्ड किये जाये और वे न्यायालय में अपने दिये गये बयानों से मुकर न सकें। 

चूंकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशोपरांत अब जांच आपके अधीनस्थ सीबीआई (व्यापमं) के माध्यम से हो रही है और मेरी विनम्र जानकारी के अनुसार एसटीएफ सीबीआई को उससे संबंधित व्हीडीआर और हार्डडिस्क नहीं दे रही है, ताकि अन्य हाईप्रोफाईल आरोपीगण, जिन्हें लेकर अन्य आरोपियों ने एसटीएफ को अपने बयान में उल्लेखित किया है, को बचाया जा सके। मुझे आशंका है कि एसटीएफ इन रिकार्डों में भी छेड़छाड़ कर सकती है। लिहाजा, सीबीआई उक्त उल्लेखित व्हीडीआर और हार्डडिस्क एसटीएफ से जप्त करें। 

सादर,
भवदीय
के.के. मिश्रा
मुख्य प्रवक्ता
मप्र कांग्रेस कमेटी, भोपाल

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