मप्र में निर्धन/आरक्षित छात्रों के सामने नया संकट

इंदौर। गरीब छात्रों के लिए कॉलेज की पढ़ाई मुश्किल होने जा रही है। उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में एडमिशन के लिए पूरे साल की फीस एकमुश्त जमा करने का नियम लागू कर दिया है। प्रदेशभर के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के लिए की जा रही ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में इस साल से यह शर्त जोड़ दी गई है। कॉलेज भी विभाग की नीति के विरोध में खड़े हो गए हैं।

कॉलेजों में एडमिशन की प्रक्रिया 20 मई से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के साथ शुरू हो चुकी है। करीब ढाई लाख सीटों पर इस प्रक्रिया से प्रवेश होना है। इनमें प्रदेशभर के सभी सरकारी और गैर अल्पसंख्यक दर्जे वाले निजी कॉलेज शामिल हैं। ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में छात्र को पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाकर अपनी पसंद का कॉलेज और कोर्स चुनना है। मेरिट के आधार पर सीट आवंटित होगी, जिस पर छात्र को कॉलेज जाकर प्रवेश लेना है। हालांकि इस वर्ष प्रवेश नियम में नई शर्त शामिल कर दी गई है कि सीट आवंटन के बाद छात्र को पहले कॉलेज के एक वर्ष की पूरी फीस ऑनलाइन जमा करवाना होगी। एकमुश्त फीस जमा करवाने पर ही प्रवेश दिया जाएगा।

अब तक यह होता था
बीते वर्ष तक ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के तहत उच्च शिक्षा विभाग सिर्फ छात्रों का रजिस्ट्रेशन और सीट आवंटन करता था। इसके बाद छात्र संबंधित कॉलेज जाकर फीस जमा कर प्रवेश ले लेता था। कॉलेजों में सामान्य डिग्री कोर्स की फीस 8 हजार से 40 हजार रुपए प्रति वर्ष तक है। निर्धन और निम्न आय वर्ग के छात्रों को आमतौर पर कॉलेज किस्तों में फीस भरने की सुविधा देते रहे हैं। लिहाजा छात्र दो या तीन किस्तों में एक साल की फीस चुका देता था।

कॉलेज भी विरोध में
कॉलेज खुद शासन की मनमानी प्रवेश नीति के विरोध में खड़े हो गए हैं। प्राचार्य मंच के अध्यक्ष डॉ. बीपी मिश्रा के मुताबिक गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए एकसाथ फीस भरना संभव नहीं होता। कई छात्र तो खुद काम कर अपनी फीस चुकाते हैं। कॉलेज चाहकर भी उन्हें फीस में रियायत और किस्त की सुविधा नहीं दे सकते, क्योंकि फीस तो एमपी ऑनलाइन के पोर्टल पर जमा कराई जा रही है। ऑनलाइन जमा हुई फीस कब कॉलेज के खाते में ट्रांसफर होगी यह भी साफ नहीं है।

छात्र वृत्ति वाले मुश्किल में
उच्च शिक्षा विभाग की इस नीति से अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के छात्र खासे परेशान है। इन्हें पढ़ाई के लिए शासन ही छात्रवृत्ति जारी करता है। अब तक ये छात्र स्कॉलरशिप से अपनी फीस चुका देते थे। इस बार उन्हें भी पहले एकमुश्त फीस भरना है, जबकि उनकी छात्रवृत्ति तो एडमिशन होने के महीनों बाद जारी हो सकेगी।

प्राइवेट कॉलेजों को होगा फायदा 
उच्च शिक्षा विभाग के प्रवेश में इस मनमाने नियम के पीछे ऐसे निजी कॉलेजों को लाभ देने की मंशा मानी जा रही है जो सीधे प्रवेश दे रहे हैं। एकमुश्त फीस नहीं भर सकने वाले छात्र मजबूरन ऑनलाइन प्रक्रिया से दूर हटेंगे और वे इन निजी कॉलेजों में प्रवेश लेने जाएंगे, क्योंकि ये कॉलेज अपने स्तर पर प्रवेश देकर फीस में भी किश्तों की छूट दे सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!