भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने मंगलवार देर रात से राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल की कीमतों में एक रूपये प्रतिलीटर की यकायक की गई वृद्धि को राजनैतिक डकैती करार देते हुए कहा है कि जबकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार विधानसभा में प्रस्तुत बजट में ही करों की वृद्धि अथवा कमी घोषित करती है, तब पहले से ही महंगाई की आर्थिक मार से कराह रहे उपभोक्ताओं को ऐसी जबरिया वसूली के माध्यम से मारने पर वह क्यों आमादा है? ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य सरकार एक कल्याणकारी राज्य के प्रतिमानों से परे तुगलकी नीति अपनाकर आम नागरिकों का खून चूस अपनी आर्थिक और राजनैतिक पिपासा शांत करना चाहती है, एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना में किसी भी राज्य सरकार को ऐसी अवैध मुनाफाखोरी करने का नैतिक अधिकार नहीं है।
आज यहां जारी अपने बयान में राज्य सरकार के अचंभित कर देने वाले इस जनविरोधी फैसले पर जारी अपनी आक्रोशित प्रतिक्रिया में श्री मिश्रा ने कहा कि वैसे भी समूचे देश में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस (पेट्रोलियम उत्पाद) उपभोक्ताओं को सबसे अधिक महंगी दरों पर सिर्फ मप्र में ही प्राप्त हो रही है। पेट्रोल पर पहले से ही 32 प्रतिशत वैट व 02 प्रतिशत प्रवेश कर तथा डीजल पर 28 प्रतिशत वैट व 01 प्रतिशत प्रवेश कर वसूला जा रहा है। इन दोनों ही पदार्थों पर केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क लगभग 10 प्रतिशत से भी अधिक लिया जा रहा है। इसी प्रकार एलपीजी (रसोई गैस) पर 14 प्रतिशत वैट व 02 प्रतिशत प्रवेश शुल्क उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है, यही वजह है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों की तुलना में मप्र में रसाई गैस प्रति सिलेण्डर लगभग 40 से 50 रूपये अधिक कीमत पर बेची जा रही है। इतनी अधिक वसूली के बावजूद भी आर्थिक रूप से कंगाल हो चुकी राज्य सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम उत्पाद एवं प्रति बैरल (डाॅलरों में) कीमतों में आयी बेतहाशा कमी के बावजूद भी राज्य सरकार ने इन उत्पादों की कीमत में कोई कमी नहीं होने दी और अब पेट्रोल पर प्रतिलीटर एक रूपया जबरिया अतिरिक्त टैक्स लगाकर उपभोक्ताओं की जेब पर राजनैतिक डकैती डालने का प्रयास किया है, जो नाकाबिले-बर्दाश्त है?