एक सिपाही पर 3-3 डिप्टी कलेक्टरों का हमला

भोपाल। उज्जैन में नागपंचमी की रात हुई डिप्टी कलेक्टर और सिपाही के बीच मारपीट का मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है। शुरूआत से इसे प्रशासन vs पुलिस विवाद बनाने का प्रयास किया गया था परंतु ऐसा नहीं हो सका। अब यह मामला उज्जैन के राप्रसे vs मैदानी पुलिस बल हो गया है। तीन तीन डिप्टी कलेक्टर एक अदने से सिपाही की शिकायतों पर शिकायतें किए जा रहे हैं, रुकने को तैयार ही नहीं हैं। सिपाही भी झुकने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि उसने अपनी ड्यूटी निभाई। डिप्टी कलेक्टर ने निकासी द्वार से अंदर आने का प्रयास किया, इसलिए उन्हें रोका गया। उन्होंने तमाचा मारा और वर्दी की कॉलेज पकड़कर फाड़ने का प्रयास किया इसलिए धक्का दिया गया। 

यहां यह याद दिला दें कि नरेन्द्र सूर्यवंशी ड्यूटी पर नहीं थे। इसलिए अब दो ऐसे डिप्टी कलेक्टर्स नरेन्द्र सिंह के समर्थन में सामने आए हैं जो ड्यूटी पर थे। 

पहली शिकायत उज्जैन पुलिस के रुखे व्यवहार के खिलाफ
इसमें डिप्टी कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव ने शिकायत में बताया नागपंचमी के लिए ड्यूटी महाकाल मंदिर में थी। वे रात में दोबारा ड्यूटी पर लौट रहे थे। हरिफाटक ब्रिज के नीचे पुलिस ने रोक लिया। उनके सरकारी वाहन पर मजिस्ट्रेट की नेमप्लेट भी थी। उन्होंने पुलिस जवानों को बताया वे डिप्टी कलेक्टर हैं, जिला उप निर्वाचन अधिकारी हैं पर जवानों ने उन्हें नहीं जाने दिया। उसी स्थान से उन्होंने एक एसआई के वाहन को जाने दिया। दो-दिन रास्तों पर उनके साथ पुलिस ने ऐसा ही दुर्व्यवहार किया। जिस कारण उन्हें करीब डेढ़ किमी पैदल चलकर महाकाल मंदिर पहुंचना पड़ा। 

दूसरी शिकायत में नरेन्द्र सिंह का बचाव
डिप्टी कलेक्टर एमके बमनाह ने भी लिखित आवेदन दिया है। सूत्रों के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर बमनाह ने आवेदन में जिक्र किया है कि नागपंचमी पर वे मंदिर में मजिस्ट्रियल ड्यूटी पर थे। कलेक्टर के निर्देश पर वे रामानुजकोट के संतों को दर्शन कराने के लिए गेट नंबर 4 पर पहुंचे थे। यहां पुलिसकर्मियों ने रोक लिया। कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की नेमप्लेट लगी होने पर भी पुलिसकर्मियों ने नहीं सुनी। उन्होंने ही अपर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को मोबाइल कर मौके पर बुलवाया था लेकिन वे आने में लेट हो गए। जिस पर वे संतों को लेकर वहां से चले गए। 

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