असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती में बेईमानी की तैयारी

भोपाल। पूरे 19 साल बाद MP PSC, प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1600 पदों पर भर्ती परीक्षा ले रहा है लेकिन इसमें भी उम्मीदवारों के साथ अन्याय की तैयारियां कर लीं गईं हैं। भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता स्लेट है, लेकिन भर्ती की परीक्षा, स्लेट की परीक्षाओं से पहले होने वालीं हैंं। ऐसे में उन हजारों उम्मीदवारों को भर्ती परीक्षा में बैठने का मौका तक नहीं मिल पाएगा जो महीनों से स्लेट की तैयारी में लगे थे।

जून-जुलाई में होना है स्लेट का एग्जाम
लेक्चरशिप और जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) की तर्ज पर राज्य स्तरीय एलिजिबिलिटी टेस्ट (स्लेट) परीक्षा होती है। अब तक एमपी स्लेट केवल 2003-04 में हुई है और अब वर्ष 2015 में जून या जुलाई में यह परीक्षा होनी है।

संकट में आयोग
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरशिप के लिए एमफिल व पीएचडी के बजाय नेट और स्लेट को न्यूनतम क्वालिफिकेशन माना है। पीएससी ने उच्च शिक्षा विभाग के जिन नियमों के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर का विज्ञापन जारी किया था, उसमें इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता एमफिल व पीएचडी रखी गई थी। अब पीएससी के सामने संकट खड़ा है कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला माने या राज्य सरकार के नियमों के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए एग्जाम कराएं।

अपने ही राज्य में नौकरी के लिए तरसेंगे
कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए हम स्लेट की तैयारी कर रहे हैं। पहले स्लेट परीक्षा होनी थी और असिस्टेंट प्रोफेसर की बाद में। लेकिन, अब आनन-फानन में असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा पहले ले रहे हैं और स्लेट की परीक्षा बाद में। असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती ही 19 साल बाद निकली है। ऐसे में मप्र राज्य के परीक्षार्थियों के हक का हनन हो रहा है।
ज्ञानप्रकाश यादव, उम्मीदवार

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