नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें सहायक शिक्षकों को नियुक्ति दिनांक से ही पूर्ण वेतन देने का आदेश प्रदेश सरकार को दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से 1970 से 1995 के बीच नियुक्त प्रदेश के हजारों सहायक शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
प्रदेश में सहायक शिक्षकों की भर्ती में सरकार ने दो साल के प्रोबेशन पीरियड की व्यवस्था रखी थी। लेकिन हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को सहायक शिक्षकों को नियुक्ति दिनांक से ही पूर्ण वेतन समेत अन्य सुविधाएं देने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सरकार का तर्क था कि हाई कोर्ट के फैसले से लगभग 84 करोड़ का बड़ा आर्थिक बोझ आ जाएगा। सरकार का यह भी कहना था कि यह उनका पॉलिसी निर्णय है और यह कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं आता।
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई करते हुए सरकार के तर्कों को खारिज कर दिया और हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की यह दलील भी खारिज हो गई कि सहायक शिक्षकों ने नियुक्ति के समय सभी शर्तों को स्वीकार किया था। शिक्षकों के वकील वरूण ठाकुर ने बेंच से कहा कि ऐसी कोई भी शर्त संविधान के मूलभूत अधिकारों का हनन करती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहायक शिक्षकों को नियुक्ति दिनांक से ही पूर्ण वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।