TTE ने परमिट किया था बदमाशों को रिजर्वेशन कोच: यात्रियों ने बताया

भोपाल। 'मैं मालवा एक्सप्रेस के एस-7 कोच में ही सवार था। बुधवार तड़के ट्रेन ललितपुर स्टेशन से रवाना हुई। 10 मिनट बाद ही किसी युवती के ओ भैया....ओ भैया... चिल्लाने की आवाज आई। मैं और अन्य यात्री आवाज की दिशा में दौड़े। वहां कोच के फर्श पर एक शॉल पड़ा था, लेकिन कोई युवती नजर नहीं आई। कोच का दरवाजा खुला देखकर मुझे अनहोनी की आशंका हुई। मैंने टीटीई (हरिसिंह चढ़ार) को तलाशा। वह तीन कोच बाद मिला। मैंने उसे पूरी बात बताई तो उसने कहा बीना स्टेशन आने दो, जीआरपी को सूचना दे देंगे। मैंने तुरंत मदद के लिए कहा तो टीटीई का कहना था कि आज ट्रेन में जीआरपी नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम से कुछ देर पहले सीट पर बैठने को लेकर युवती का दो युवकों से विवाद भी हुआ था और इसी टीटीई ने उन युवकों को कोच में बैठने दिया था।

उसका कहना था कि वे दोनों रेलवे कर्मचारी हैं। मुझे इस मामले में टीटीई की भूमिका संदिग्ध लग रही है। फिर मंडी बामौरा के पास मुझे ट्रेन में जीआरपी के दो सिपाही दिखे तो उन्हें इसकी जानकारी दी। सिपाही विदिशा में युवती का सामान लेकर ट्रेन से उतर गए।'

यह पूरा घटनाक्रम बताया अयोध्या नगर निवासी 61 वर्षीय स्वतंत्र जैन ने। श्री जैन उसी कोच में सवार थे, जिसमें से बदमाशों ने कानपुर निवासी रति त्रिपाठी को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था। बंसल अस्पताल में भर्ती रति की हालत गंभीर बनी हुई है।

हाथ हिलाकर बताया, मैं जिंदा हूं... 
बुधवार सुबह 6 बजे बीना के पास करोंदा की पंचायत के सरपंच बबलू राय की पत्नी लाली ने पटरी पर युवती को घायल हालत में देखा। इस बीच रति ने हाथ हिलाया तो लाली समझ गईं कि वह जिंदा है। उन्होंने पति को इसकी जानकारी दी। सरपंच ने 108 एंबुलेंस को फोन पर सूचना दी। डिप्टी एसएस प्रवीण व्यास ने बताया कि ट्रेन करोंदा स्टेशन से सुबह 5.41 बजे निकली थी।

अब तक होश में नहीं आई रति
राजधानी के बंसल अस्पताल में भर्ती रति त्रिपाठी की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक उसके सिर और नाक में गहरी चोट आई हैं। सूजन उतरने के बाद ही उसे होश में लाने की कोशिश की जाएगी।

ऐसा दिखता है आरोपी
पुलिस ने गुरुवार को यात्रियों से बातचीत के आधार पर एक आरोपी का स्कैच जारी किया।आरोपी की उम्र करीब 30 वर्ष और रंग गेहुंआ बताया जा रहा है।

10 हजार का इनाम घोषित
रेल डीजी  मैथिलीशरण गुप्त ने आरोपियों पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।

रेल अधिकारियों ने 20 हजार रुपए दिए तो मां ने ठुकराए
बंसल अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही रति की मां मिथ्या को जिम्मेदारों से शिकायत है। रेलवे के अफसर गुरुवार को मिथ्या से मिले। उन्हें रति के इलाज के लिए 20 हजार रु. की सहायता राशि दी। मिथ्या ने यह रकम लेने से मना कर दिया। उनका कहना था कि जब रेलवे उनकी बेटी की मदद नहीं कर सका तो राहत राशि देकर क्या कर लेगा? मिथ्या ने कहा कि उनकी बेटी की हालत के लिए रेलवे, जीआरपी और डॉक्टर भी दोषी हैं। उसे चलती ट्रेन से फेंक दिया गया। एक यात्री ने टीटीई को इस बारे में बताया, लेकिन उसने ट्रेन नहीं रोकी। घटना के समय पूरे कोच में जीआरपी का एक भी जवान नहीं था।

घायल बेटी को 18 घंटे तक इलाज नहीं दिया गया। बीना और सागर में तो डाॅक्टरों ने जिम्मेदारी टाल दी। उसे हमीदिया अस्पताल लाए तो यहां जूनियर डॉक्टर इलाज के नाम पर टालमटोली करते रहे। मिथ्या का कहना है कि बदमाशों ने तो उनकी बेटी के साथ बुरा किया ही, रेलवे और डॉक्टरों ने भी अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं की।

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