नाम: संगीता, उम्र: 28, धंधा: फर्जी मार्कशीट बनाना, एड्रेस: भोपाल जेल

भोपाल। सीआईडी की गिरफ्त में आई संगीता शर्मा राजधानी से फर्जी मार्कशीट बनाने का गोरखधंधा संचालित कर रही थी। एमबीए पास संगीता यहां शौकिंदा इलेक्ट्रो कंप्यूटर इंस्टीट्यूट की रीजनल मैनेजर के तौर पर काम कर रही थी।

करीब दो साल से वह फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे से जुड़ी थी। संगीता और इंदौर क्राइम ब्रांच की रिमांड पर चल रहे भूपेंद्र मोदी ने मिलकर प्रदेश में सौ से ज्यादा लोगों को डी-एड, पीजीडीसीए समेत अन्य परीक्षाओं की मार्कशीट मुहैया करवा दी। हर फर्जी मार्कशीट पर उन्होंने 20-25 हजार रुपए ऐंठे हैं।

मंजू की मार्कशीट से पकड़ाया गिरोह
वर्ष 2013 में व्यापमं द्वारा 93 पदों के लिए आयोजित सहायक उप निरीक्षक (एम) स्टेनोग्राफर की परीक्षा में रतलाम की मंजू राठौर का चयन हुआ था। दस्तावेजों की जांच में मंजू की पीजीडीसीए की मार्कशीट फर्जी मिली। सीआईडी ने मंजू को हिरासत में लिया तो पता चला कि फर्जी मार्कशीट के लिए उसने देवास के किशन चौधरी से संपर्क किया था।

किशन ने उसे मोहन जाट से मिलवाया। मोहन ने अप्सरा टॉकीज के पास अशोका पैलेस में संगीता शर्मा से मंजू की मार्कशीट बनवाई थी। सीआईडी ने इस आधार पर संगीता को गिरफ्तार कर गुरुवार को जेल भेज दिया।

भोज or बीयू की मार्कशीट देती थी संगीता
मूलत: गोंडा, उप्र निवासी 28 वर्षीय संगीता एन-2 सेक्टर भेल क्वार्टर में रहती है। कॅरियर कॉलेज से एमबीए करने के बाद वर्ष 2008 में वह शौकिंदा इलेक्ट्रो से जुड़ी। इंस्टीट्यूट धारवाड़ स्थित कर्नाटक व सिक्किम की ईलम यूनिवर्सिटी से संबद्ध है। संगीता ने यहां से भोज व बीयू की मार्कशीट देना भी शुरू कर दिया था।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !