Police किसी भी व्यक्ति को पकड़ कर जब Magistrate के सामने प्रस्तुत करती है तो उसके पास FIR और Investigation रिपोर्ट होती है पुलिस के जांच प्रतिवेदन में कई बार आरोपी (accused) के खिलाफ काफी पुख्ता सबूत (Strong evidence) होते हैं, जिन्हें देखकर कोई भी पहली नजर में बता सकता है कि Crime इसी व्यक्ति ने किया है। सवाल बनता है कि फिर ऐसे अपराधी को तत्काल सजा क्यों नहीं सुना दी जाती है, आइए पढ़ते हैं कि ऐसा कौन सा कानून है जो Strong evidence होने के बावजूद Magistrate को तत्काल (Immediately) सजा सुनाने से रोकता है।
BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा 251 की परिभाषा
आरोप विरचित करना ( Framing of charge) -
अगर Magistrate को लगता है की कोई accused पर लगाए गए Blame सिद्ध किये जा सकते हैं तब:-
Magistrate आरोपी को उसके आरोप के Crime के बारे में बताएगा एवं मजिस्ट्रेट accused से पूछेगा की वह Crime को स्वीकार करता है या नहीं।
अगर accused व्यक्ति Crime को स्वीकार करता है तो उसके Crime के लिए दंड का निर्धारण किया जाएगा अन्यथा आरोपी व्यक्ति Magistrate से आरोपो का विचारण की बोल सकता है।
Magistrate आरोपी व्यक्ति से सारे आरोपों को इस धारा के अनुसार विरचित करेगा एवं आरोपों का विचारण पुलिस रिपोर्ट को मंगवा कर करेगा।
यह धारा स्पष्ट करती है कि आरोपी व्यक्ति चाहे तो अपराध को स्वीकार कर सकता है, चाहे तो वह मजिस्ट्रेट से अपने ऊपर लगे गए अपराध का विचारण करवा सकता है।
उधानुसार:- मोहन पर गंभीर मारपीट का आरोप था। Court में पुलिस ने जो Investigation रिपोर्ट प्रस्तुत की उसके हिसाब से Magistrate को विश्वास (faith) होता है कि accused व्यक्ति के Against पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है परंतु फिर भी मजिस्ट्रेट उसकी सजा का निर्धारण नहीं कर सकता। BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA की धारा 251 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट, accused व्यक्ति से अपराध की स्वीकारोक्ति (confession) मांगेगा। यदि accused ने अपराध करना स्वीकार नहीं किया और खुद को Innocent बताया तो Magistrate को उस प्रधान का Trial करना होगा। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।