Pratibha Pal IAS, रीवा कलेक्टर फिर हाई कोर्ट के टारगेट पर, एक दिन का टाइम दिया - Video

Bhopal Samachar
भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी एवं रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल एक बार फिर हाई कोर्ट के टारगेट पर है। क्या मामला जमीन का है। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने गड़बड़ी की थी। हाईकोर्ट ने दुरुस्त करने के लिए कहा परंतु आदेश का पालन नहीं हुआ। हाई कोर्ट ने रीवा कलेक्टर को एक दिन का समय दिया है। 7 मार्च 2025 को उन्हें हाई कोर्ट के आदेश का पालन करके हलफनामा प्रस्तुत करना है। 

मामला क्या है - सबसे पहली बार तहसील ने गड़बड़ी की थी

रीवा की तहसील रायपुर कर्चुलियान के गांव कोष्टा की रहने वाली मुन्नवती लोहार की जमीन का विवाद है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र तिवारी के द्वारा बताया गया है कि रायपुर कर्चुलियान के तहसीलदार के समक्ष दाखिल खारिज का आवेदन दिया था। जिसके आधार पर तहसीलदार ने उसके पक्ष में आदेश पारित किया था। लेकिन बिना किसी पूर्व अनुमति या सूचना के तहसीलदार ने अपने ही आदेश को पलटते हुए नया आदेश पारित कर दिया इसके खिलाफ याचिकाकर्ता के द्वारा उप विभागीय अधिकारी के समक्ष इस आदेश के खिलाफ चुनौती दी गई थी। जहां उप विभागीय अधिकारी के द्वारा तहसीलदार के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को राहत दी गई थी। 

हाई कोर्ट में रीवा कलेक्टर को 4 घंटे में पेश होने के आदेश दिए

हाई कोर्ट ने शनिवार कलेक्टर को इस मामले का नियम अनुसार निपटारा करने और गड़बड़ी करने वाले तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था। आज अधिवक्ता जितेंद्र तिवारी ने हाई कोर्ट को बताया कि रीवा कलेक्टर ने आदेश का पालन नहीं किया है। सरकारी अधिवक्ता ने आदेश का पालन करने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय मांगा। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सरकारी अधिवक्ता के निवेदन को अस्वीकार करते हुए, रीवा कलेक्टर को चार घंटे के भीतर जबलपुर हाईकोर्ट में प्रस्तुत होने के आदेश दिए। 

रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल पर ₹10000 की कॉस्ट

इस पर जब सरकारी अधिवक्ता ने फिर से निवेदन किया तो, आदेश का पालन करने के लिए हाईकोर्ट ने एक कार्य दिवस का समय दिया है। दिनांक 6 मार्च 2025 को हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के बाद दिनांक 7 मार्च 2025 को हाईकोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत होना है। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल के ऊपर ₹10000 की कॉस्ट भी लगाई है।

प्रतिभा पाल को हाई कोर्ट ने पहले भी फटकारा था

उल्लेखनीय है कि इसी साल जनवरी के महीने में हाईकोर्ट ने पहली बार प्रतिभा पाल इस को फटकार लगाई थी। उस समय हाईकोर्ट ने कहा था कि, अच्छी स्टेट वो होती है जो कि अपनी गलती स्वीकार करती है और अपने सब्जेक्ट या सिटीजन को, जो बेनिफिट ड्यू है वह देती है। आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया कि आप उनके वाजिब हक का उल्लंघन करें, उनका शोषण करें। इस बात को हमेशा ध्यान रखें। 

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