मध्यप्रदेश में 12 लाख से अधिक कर्मचारी-अधिकारी और पेंशनर्स को अब केंद्रीय कर्मचारियों के मुकाबले 8 फीसदी कम मंहगाई भत्ता (DA) मिल रहा है। हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढ़कर अब 50 प्रतिशत हो गया है वहीं, प्रदेश के कर्मचारियों को 42 फीसदी ही महंगाई मिल रहा है। इससे प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारियों को 1200 रुपए से लेकर 16000 हजार रुपए तक नुकसान हो रहा है। कर्मचारियों में बेचैनी है। लोकसभा चुनाव से पहले काम से कम एक DA इंक्रीमेंट की डिमांड कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार पर महंगाई भत्ता बढ़ाने का प्रेशर
प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों का महंगाई भत्ता तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय में कोरोना के दौरान रोका गया था। तब सरकार ने कर्मचारी व अधिकारियोंं को महंगाई भत्ता और इंक्रीमेंट देने पर रोक लगाई थी। इसी वजह से केंद्र से 20 फीसदी कम महंगाई भत्ता राज्य कर्मचारियों को मिल रहा था। कोरोना संकट से उबरे तो शिवराज सरकार ने मार्च 2022 में कर्मचारियों को 11 प्रतिशत डीए देने का आदेश जारी किया था। इसके बाद 5 प्रतिशत और फिर 4 प्रतिशत डीए दिया गया था। जनवरी 2023 में 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलने के पश्चात केंद्र सरकार के बराबर हो गया था। केंद्र सरकार ने गुरुवार को केंद्रीय कर्मियों को महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ाया है। अब राज्य सरकार पर महंगाई भत्ता बढ़ाने का प्रेशर बढ़ गया है।
मध्य प्रदेश सरकार को सिर्फ लाड़ली बहना की चिंता: कर्मचारी संघ
उधर, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि महाशिवरात्रि एवं होली का त्योहार लाड़ली बहनें खुशी से मना सकें, इसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने हर महीने की 10 तारीख को दिए जाने वाला पैसा 1 मार्च को ही उनके खाते में पहुंचा दिया गया।
दूसरी ओर, सेवारत और रिटायर्ड 12 लाख कर्मचारियों को 8 महीने से महंगाई भत्ता-राहत एवं 12 साल से वाहन भत्ता, मकान किराया भत्ता नहीं बढ़ाया जा रहा। वेतन भत्ते न बढ़ने से आर्थिक परेशानी का सामना कर्मचारी एवं उसके परिवार को करना पड़ता है।
कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ समय पर न देकर अन्य योजनाओं में सरकार पैसा खर्च कर रही है। एक ओर केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार में मोदी की घोषणाओं पर अमल और लाभ दिलाने की गारंटी की बात कही जाती है। दूसरी ओर प्रदेश के 7.5 लाख कर्मचारियों और 4.5 लाख पेंशनर्स के साथ धोखा किया जा रहा है। IAS, IPS और IFS अफसरों को तुरंत भत्ता मंजूर कर दिया जाता है और कर्मचारियों को मिलने वाली भत्ते की राशि सवा साल से रोक कर रखी गई है।
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