अब RTI के तहत आप 30 दिन के भीतर राज्य के किसी भी क्लिनिक और अस्पताल के रजिस्ट्रेशन एवं संचालन के अप्रूवल संबंधी जानकारी ले सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग को जारी इस अहम निर्णय में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सीधे तौर पर जनता से जुड़ा हुआ विषय है और इस जानकारी को देने से अवैध रूप से संचालित चिकित्सालय और अस्पतालों पर लगाम लगेगी।
इस अपील प्रकरण में जानकारी माँगी थी
जबलपुर की श्रीमती सुनीता तिवारी ने जबलपुर में मालवीय चौक स्तिथ स्टार हास्पिटल डॉ० राजीव जैन, के वर्ष 2020 से 2021 व वर्ष 2022 के रजिस्ट्रेशन से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज RTI में मांगे थे। सुनीता ने ऑनलाईन सुनवाई में बताया गया कि उन्हें आवेदन में चाही गई जानकारी अप्राप्त है। सुनीता का आरोप है कि चिकित्सा में लापरवाही से उनकी बच्ची की मृत्यु हो गई थी और उक्त चिकित्सालय डॉ० राजीव जैन द्वारा अवैधानिक रूप से चलाया जा रहा है। लेकिन इस जानकारी को जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सुनीता तिवारी को उपलब्ध नहीं कराई वही सुनीता तिवारी की प्रथम अपील पर संचालक स्वास्थ्य ने जानकारी देने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेशित किया लेकिन उसके बावजूद सुनीता तिवारी को कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। सुनवाई के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी आयोग में ना तो उपस्थित हुए ना ही कोई जवाब प्रस्तुत किया।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर आवेदक को हर्जाना
जबलपुर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी की लापरवाही को देखते हुए सूचना आयोग ने सुनीता तिवारी को ₹5000 का हर्जाना राशि देने के आदेश जारी किए है। राहुल सिंह ने आयुक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को निर्देशित किया कि वह आयोग के आदेश प्राप्ति के एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति राशि रू. 5,000/- (पांच हजार रूपये मात्र) का भुगतान सुनीता तिवारी को करवाना सुनिश्चित करे।
जानकारी देने से अस्पतालों के संचालन में आयेगी कसावट: आयोग
राज्य में सभी अस्पताल एवं चिकित्सालय की जानकारी को आरटीआई अधिनियम के अधीन लाने के आदेश के साथ ही सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहां कि जबलपुर के निजी अस्पताल में भीषण अग्निकांड के चलते हुई जनहानि आयोग के संज्ञान में है। उस प्रकरण में भी निजी अस्पताल द्वारा नियम कानून को ताक पर रखकर अस्पताल संचालित किया जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही इस तरह के अवैध रूप से संचालित चिकित्सालयों और अस्पतालों पर रोक लगाने की है, परन्तु जबलपुर अग्निकांड में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी मुख्य रूप से परिलक्षित हुई थी। सिंह ने यह भी कहा कि अवैध रूप से संचालित चिकित्सालय एवं अस्पताल सीधे तौर पर आम जनता की जान से खिलवाड़ है ऐसे मेें जनता को यह जानने का अधिकार है कि अस्पताल शासन द्वारा स्थापित मापदंड के अनुरूप चल रहा है या नहीं। सूचना आयुक्त ने माना कि चिकित्सालय और अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन संबंधी जानकारी देने से अस्पतालों और चिकित्सालयों के संचालन की व्यवस्था पारदर्शी एवं स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुरूप व्यवस्था में जवाबदेही भी सुनिश्चित हो सकेगी।
अस्पतालों की जानकारी को रोकना अवैध: आयोग
सूचना आयुक्त सिंह ने प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, को जारी निर्देश में कहा है कि वे इस आदेश की प्रति राज्य के समस्त जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को उपलब्ध करवाते हुए, सभी अधिकारी को निर्देशित करे कि RTI आवेदन दायर होते ही 30 दिनों के भीतर अस्पताल और चिकित्सालय की जानकारी आवेदक को उपलब्ध करवाएं। सिंह ने जारी निर्देश यह स्पष्ट किया कि इस तरह की जानकारी को अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत रोकना अधिनियम प्रावधानों के अनुरूप न होने से अवैध है।