भारत में पुरानी पेंशन की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य सरकारों को इसके बारे में परामर्श जारी किया है। रिजर्व बैंक का कहना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम किसी भी राज्य की वित्तीय व्यवस्था के लिए हानिकारक है। यदि कोई राज्य शासकीय कर्मचारियों को NPS बंद करके OPS दे रहा है तो यह फैसला उस राज्य के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में पीछे ले जाने वाला होगा। ऐसे राज्य की अर्थव्यवस्था अस्थिर हो जाएगी।
कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मामले में वित्तीय विशेषज्ञों की राय
भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारी एवं वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ श्री रचित सोलंकी, सोमनाथ शर्मा, आरके सिन्हा, एस आर बेहरा और अत्री मुखर्जी ने एक शोध पत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है कि, NPS बंद करके यदि OPS को शुरू किया गया तो इसका वित्तीय बोझ 4.5X तक बढ़ सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों में कई राज्यों में चुनाव के दौरान कर्मचारियों को आकर्षित करने के लिए पुरानी पेंशन की घोषणा की गई और सरकार बनने के बाद पुरानी पेंशन लागू करने के आदेश भी जारी हुए हैं। हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने NPS को बंद करके OPS शुरू की है।
राज्य सरकारों को कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग नहीं माननी चाहिए: आरबीआई
लेख में कहा गया है कि ओपीएस में परिभाषित लाभ (डीबी) है जबकि एनपीएस में परिभाषित अंशदान (डीसी) है, जहां ओपीएस में अल्पकालिक आकर्षण है, वही मध्यम से दीर्घकालिक चुनौतियां भी हैं। राज्यों के पेंशन व्यय में अल्पकालिक कटौती ओपीएस को बहाल करने के निर्णयों को प्रेरित कर सकती है। यह कटौती लंबे समय में भविष्य में गैर-वित्तपोषित पेंशन देनदारियों में भारी वृद्धि से प्रभावित होगी। राज्यों के ओपीएस पर वापस लौटने से वार्षिक पेंशन व्यय में 2040 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का सालाना सिर्फ 0.1 प्रतिशत बचाएंगे, लेकिन उसके बाद उन्हें वार्षिक जीडीपी के 0.5 प्रतिशत के बराबर पेंशन पर अधिक खर्च करना होगा। यानी तात्कालिक रूप से NPS से OPS में स्विच करना सरकारों के लिए फायदेमंद होगा परंतु यही डिसीजन 2040 के बाद सिरदर्द बन जाएगा।
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