MP TRIBAL के 25000 शिक्षकों की रिट अपील हाई कोर्ट में मंजूर, नोटिस जारी - NEWS TODAY

मध्य प्रदेश जनजातिया कार्य विभाग में उनकी मर्जी के विरुद्ध पदस्थ किए गए 25000 शिक्षकों की पदस्थापना के खिलाफ हाई कोर्ट की डबल बेंच में प्रस्तुत की गई रिट अपील मंजूर कर ली गई है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करके अपनी दलील प्रस्तुत करने के लिए कहा है। 

मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती में पद स्थापना विवाद क्या है

मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग तथा जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत लगभग 25000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षित वर्ग के EWS, OBC, SC कैटिगरी के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में मानकर ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट में पोस्टिंग दी गई है। जबकि उक्त आरक्षित वर्ग से कम अंक वाले लगभग 2500 से अधिक उम्मीदवारों को स्कूल शिक्षा विभाग में उनकी पसंद के अनुसार पदस्थापना कर दी गई है। स्कूल शिक्षा विभाग की उक्त प्रक्रिया को आरक्षित वर्ग के, अनारक्षित वर्ग में चयनित अभ्यर्थियों द्वारा चुनौती दी गई थी। 

युक्ति याचिका को जस्टिस श्री जीएस अहलूवालिया ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विभाग के नियमानुसार याचिका करता हूं की नियुक्तियां सही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने तत्संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी पसंद के वरीयता अनुक्रम में आरक्षण नीति के अनुरूप पदस्थापित किया जाना चाहिए। जस्टिस अहलूवालिया की खंडपीठ में तत्व संबंध में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। उसे भी खारिज कर दिया गया था। 

उक्त दोनों आदेशों के विरुद्ध याचिका करता हूं की ओर से रिट अपील दाखिल की गई, जिसकी प्रारंभिक सुनवाई जस्टिस श्री रवि मलिमथ एवं जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की संयुक्त खंडपीठ द्वारा की गई। अपीलकर्ता की ओर से रिट अपील क्रमांक 1333/23 याचिका में तर्क दिया गया कि, रिट कोर्ट द्वारा पारित आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित मार्गदर्शी सिद्धांतों के विरुद्ध तथा संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 के विरुद्ध है। रिट कोर्ट ने याचिका की विषय वस्तु को स्पष्ट किए बिना ही आदेश पारित कर दिया था, जो की विधिक प्रावधानों के विपरीत है। 

अधिवक्ता के उक्त तर्कों को गंभीरता से लेते हुए रिट अपील विचारण हेतु स्वीकार कर ली गई है। समस्त अनावेदकों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है। अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुरद्वारा पैरवी की गई। 

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