मध्य प्रदेश की गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद डॉक्टर कृष्ण पाल सिंह यादव ने अहीर रेजिमेंट के समर्थन में पत्र लिखा है। उल्लेखनीय है कि भारत के यादव समाज के लोग लंबे समय से भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग कर रहे हैं। इसमें जाति के आधार पर भर्ती किए जाने का प्रावधान मांगा जा रहा है।
भारत के युद्ध इतिहास में अहीरों का योगदान
सांसद के पी सिंह यादव ने अपने समर्थन पत्र में लिखा है कि, भारत की थल सेना में रेजिमेंट प्रणाली हैं जिनका बटवारा ब्रिटिश काल में हुआ था और इसमें भर्तिया जाति या समुदाय के आधार पर होती थी। पिछले कई वर्षों से अहीर (यादव) समुदाय की नाम है कि सेना में अहीर रेजिमेंट के नाम पर एक पूर्ण इन्फैंट्री हो जो वर्तमान में कुमाऊं रेजिमेंट के दो बटालियन और अन्य रेजिमेंटों में एक निर्धारित प्रतिशत तक सीमित है। अहीर समाज का देश के इतिहास में बहुत बड़ा योगदान है, चाहे वह 1948, 1962, 1965, 1971, कारगिल युद्ध, प्रथम-द्वितीय विश्व युद्ध या 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हो।
अहीर समुदाय के सैनिकों को पराक्रम और अदम्य साहस के लिए दो परमवीर चक्र, चार महावीर चक्र, चार अशोक चक्र, तीस वीर चक्र और छह कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित रेजांगला पर 3000 चीनी सैनिकों से लड़ते हुए 120 अहीर समाज के सैनिकों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
अहीर समाज के ऐतिहासिक योगदान को सम्मान देने हेतु मेरा सरकार से विनम्र निवेदन है कि वो अहीर रेजिमेंट के गठन को तत्काल स्वीकृति दे और यदि किसी प्रशासनिक कारणी से यह संभव न हो तो वायु सेना और नौसेना की तरह थल सेना में भी रेजिमेंट प्रणाली को खत्म किया जाए जिससे हर वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिले।
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