दमोह। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दमोह के कलेक्टर तरुण राठी को अवमानना नोटिस जारी किया है। इसके जरिये पूछा गया है कि क्यों न पूर्व आदेश की नाफरमानी को गंभीरता से लेकर उनके खिलाफ अवमानना की कठोर कार्रवाई की जाए?
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिकाकर्ता दमोह निवासी अनुराग हजारी की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि दमोह में कपिल खरे नामक उपयंत्री को प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) बना दिया गया है। बावजूद इसके कि पूर्व में हाई कोर्ट के आदेश के पालन में इसी पद से कपिल खरे को हटाया गया था। लिहाजा, कलेक्टर ने हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना की है।
2012 में एक साथ हटाए गए थे 50 से अधिक CMO
हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि 2012 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसके जरिये एक नगर पालिका में अपात्र कर्मचारी को सीएमओ बना दिए जाने के रवैये को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद न केवल उस प्रभारी सीएमओ विशेष को हटाने के निर्देश दिए बल्कि सामान्य आदेश पारित करते हुए मध्य प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं में पदस्थ अपात्र कर्मचारियों को हटाए जाने की व्यवस्था दे दी थी। जिसके पालन में एक साथ 50 से अधिक प्रभारी सीएमओ हटा दिए गए थे। दमोह में पदस्थ कपिल खरे को भी इसी कड़ी में हटाया गया था। इसके बावजूद पिछले दिनों जैसे ही दमोह में सीएमओ का पद रिक्त हुआ उपयंत्री कपिल खरे को नए सिरे से प्रभारी सीएमओ बना दिया गया।
HIGH COURT रजिस्ट्रार जनरल को सौंपे रिपोर्ट
इस तरह हाई कोर्ट के उस पूर्व आदेश की नाफरमानी कर दी गई, जिसके तहत राज्य के मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि भविष्य में किसी भी नगर पालिका में सीएमओ कैडर में पदोन्नति के लिए अयोग्य व्यक्ति को प्रभारी सीएमओ न बनाया जाए। इस सिलसिले में कार्रवाई कर रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट सौंपने कहा गया था।