ई-टेंडर घोटाला: IAS जुलानिया और अग्रवाल के नाम सुर्खियों में

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश का बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाला में भारतीय प्रशासनिक सेवा (मध्यप्रदेश का डर) के दो वरिष्ठ अफसर EOW की जांच की जद में है। नौकरशाहों के बीच दोनों को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। वरिष्ठ आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए स्मार्ट सिटी के टेंडर में गड़बड़ी की। वहीं वरिष्ठ आईएएस अफसर राधेश्याम जुलानिया पर आरोप है कि उन्होंने अपनी बेटी की नियोक्ता कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए पद का दुरुपयोग किया। 

आईएएस विवेक अग्रवाल ने बेटे वैभव अग्रवाल को फायदा पहुंचाया: आरोप

नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव रहे विवेक अग्रवाल के कार्यकाल में HPE कंपनी को 300 करोड़ का टेंडर मिला था। एचपीई कंपनी के अलावा बीएसएनएल ने 250 करोड़ का टेंडर डाला था, लेकिन एचपीई कंपनी के पास स्मार्ट सिटी बनाने का अनुभव नहीं होने के बावजूद उसे टेंडर मिल गया। इस टैंडर के मिलने से छह दिन पहले ही कोलकाता में एचपीई कंपनी और पीडब्ल्यूसी कंसलटेंट कंपनी के बीच एक साथ काम करने का करार हुआ था। पीडब्ल्यूसी कंसलटेंट कंपनी के सीनियर अधिकारी विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल हैं। EOW ने जब इस मामले में अपनी जांच प्रक्रिया आगे बढ़ाई तो आईएएस एसोसिएशन खुलकर विवेक अग्रवाल के समर्थन में आ गई। सीएम कमलनाथ के दखल के बाद आईएएस विवेक अग्रवाल के मामले में क्या प्रगति हुई EOW की ओर से कुछ भी अपडेट नहीं दिया जा रहा।

आईएएस राधेश्याम जुलानिया ने बेटी लावण्या जुलानिया को फायदा पहुंचाया: आरोप

आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया पर जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव रहते हुए अपनी बेटी लावन्या जुलानिया से जुड़ी कंपनी मैक्स मेंटाना को ठेका देने का आरोप है। पिछले 7 साल में जुलानिया का अधिकांश समय जल संसाधन विभाग में बीता है। आरोप है कि जिस समय जुलानिया का विभाग हैदराबाद की कंपनी मैक्स मेंटाना को करोड़ों के ठेके दे रहा था, उसी दौरान जुलानिया की बेटी लावन्या जुलानिया ने हैदराबाद में इस कंपनी में महत्वपूर्ण पद पर नौकरी ज्वाइन की थी। फिलहाल ईओडब्ल्यू मैक्स मेंटाना कंपनी पर एफआईआर दर्ज कर चुकी है। कंपनी की भूमिका और विभाग से सांठगांठ को लेकर जांच भी चल रही है।

यदि सबूत है तो कार्रवाई करें, बदनाम क्यों करते हैं: भाजपा

इस मामले पर मध्‍य प्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि कोई भी अफसर या राजनेता हो, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। जबकि बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि सरकार बदनाम और मानहानि का काम कर रही है। यदि जांच में सबूत है, तो कार्रवाई की जाए। बीजेपी पहले भी ई-टेंडर को लेकर अपना पक्ष रख चुकी है। इन दो अफसरों के अलावा भी ई-टेंडर में दर्ज एफआईआर के आधार पर पांच विभाग घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में उन विभागों के जिम्मेदारों की भूमिका की भी जांच ईओडब्ल्यू कर रही है।
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