भोपाल। सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) का प्रांतीय प्रतिनिधिमंडल मान सांसद, राज्यसभा, श्री दिग्विजय सिंह से मिला और प्रदेश में उच्च न्यायालय के दिनांक 30.04.2016 के बाद से "पदोन्नतियों में आरक्षण" तथा पदोन्नतियों की बाधा से विस्तृत चर्चा की।
सभी विभागों के वरिष्ठ पदों पर आरक्षित अधिकारी
सांसद दिग्विजय सिंह को अवगत कराया गया कि उनके मुख्यमंत्री रहते जो नियम बनाए गए थे उनका कितना दुष्प्रभाव हुआ है और किस तरह सामान्य तथा पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अन्याय का शिकार है। अवगत कराया गया कि इन नियमों के कारण सभी विभागों में वरिष्ठ पदों पर या तो 100 प्रतिशत अनु जाति/ जनजाति का प्रतिनिधित्व है या निकट समय में हो जाएगा। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैंने ऐसे नियम नहीं बनाए थे कि किसी वर्ग के साथ अन्याय हो।
पदोन्नति में आरक्षण: हाईकोर्ट ने व्याख्या कर दी है
अवगत कराया गया कि मान सर्वोच्च न्यायालय के "पदोन्नति में आरक्षण" प्रकरण में यथास्थिति के आदेश से सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग की पदोन्नतियों में कोई बाधा नहीं है, तत्संबंधी व्याख्या मान उच्च न्यायालय जबलपुर ने एक प्रकरण में स्पष्ट रूप से दे दी है एवं इससे अलग पदोन्नतियों की कोशिश यदि की जाती है तो सपाक्स पुन: सड़कों पर उतरकर विरोध करेगा तथा ऐसे किसी भी निर्णय को न्यायालय में चुनौती देगा।
एक सप्ताह में निश्चित कदम उठाएंगे: दिग्विजय सिंह
उन्होंने आरक्षण के नियमों पर संस्था को पूरे ध्यान से सुना और आश्वस्त किया कि वे पूरे मामले को गंभीरता से अध्ययन कर एक सप्ताह में निश्चित कदम उठाएंगे। मान सांसद ने आश्वस्त किया कि किसी के भी साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। संस्था की मान्यता के संबंध में भी मान सांसद को अवगत कराया गया और मांग की गई कि संस्था को शासन की मान्यता दिलाई जावे। प्रतिनिधि मंडल में प्रांतीय पदाधिकारियों के अतिरिक्त सपाक्स की मंत्रालय ईकाई व भोपाल जिला ईकाई के पदाधिकरी उपस्थित थे।
दिग्विजय सिंह जी द्वारा प्रकरण में न्यायालयीन स्थिति के बारे में भी जानकारी प्राप्त की एवं स्वयं पूछा कि वर्तमान में प्रकरण का कोर्ट में स्टेटस क्या है उन्हें अवगत कराया गया कि कोर्ट स्टेटस के अनुसार सरकार आरक्षित वर्ग की पदोन्नति या नहीं कर सकती है केवल सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग की पदोन्नति की जा सकती है।