भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा नेता एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी गई है। इस योजना पर 200 करोड़ रुपए खर्च होता था। कमलनाथ सरकार ने मात्र 6 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इस तरह सरकार ने भले ही दस्तावेजों में इसे बंद करने के आदेश जारी ना किए हों पंरतु एक तरह से यह योजना बंद कर दी गई है।
कमलनाथ सरकार ने इस साल प्रयागराज में कुंभ के दौरान प्रदेश के चार शहरों से तीर्थ दर्शन ट्रेन चलाई, लेकिन उसके बाद से कोई ट्रेन नहीं चली। आर्थिक तंगी और किसान कर्जमाफी के लिए रकम का इंतजाम करने के लिए सरकार पिछली सरकार की तीर्थदर्शन जैसी कई योजनाओं के बजट में कटौती कर चुकी है। तत्कालीन शिवराज सरकार ने यह योजना 60 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए तीन सितंबर 2012 से शुरू की थी। शिवराज सिंह को 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका लाभ भी मिला था। इस मुफ्त तीर्थ यात्रा का लाभ सिर्फ उन लोगों के लिए था, जो करदाता नहीं हैं।
योजना की लोकप्रियता देखकर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 'तीरथ बरत' नामक योजना शुरू की थी। केंद्र सरकार ने भी 'प्रवासी भारतीय तीर्थदर्शन योजना' प्रारंभ की है। लेकिन, प्रदेश में अब बद्रीनाथ, रामेश्वरम्, द्वारकाधाम और जगन्नाथपुरी जैसे तीर्थ की चारधाम यात्रा अब सरकारी खर्च पर नहीं हो पाएगी।
अब तक सात सौ करोड़ खर्च
तीर्थ दर्शन योजना पर राज्य सरकार पिछले आठ साल में 725 करोड़ रुपये खर्च कर सात लाख से अधिक बुजुर्गो को तीर्थ यात्रा करा चुकी है। धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा संचालित इस योजना के तहत हर धर्म के तीर्थ स्थानों के लिए विशेष ट्रेन चलाई जा रही थी।
अब तक हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिर्डी, गया, काशी, अमृतसर, तिरपति, सम्मेद शिखर, श्रवण बेलगोला वेलगणि चर्च (नागपट्टम), गंगासागर कामाख्या देवी, गिरनारजी, पटना साहिब, उज्जैन, चित्रकूट, महेश्वर सहित अजमेर शरीफ के लिए लोगों को तीर्थ यात्रा का लाभ सरकार दिला चुकी है।
सिर्फ छह ट्रेन चली इस साल
कमलनाथ सरकार के वजूद में आने के बाद मात्र छह ट्रेन चलाई गई। खासतौर से प्रयागराज में आयोजित कुंभ के दौरान सरकार ने चार शहरों से तीर्थयात्रियों को कुंभ स्नान के लिए भेजा था। हरदा, गुना, जबलपुर और बुरहानपुर से चार ट्रेन प्रयागराज के लिए चलाई गई थीं।
ट्रेन में जाने वाले तीर्थ यात्रियों को भोजन, बीमा, उपचार सहित सारी सुविधाएं सरकारी खर्च पर मुहैया कराई जाती हैं। सूत्रों का मानना है कि जुलाई में एक ट्रेन चलाई जा सकती है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।