वर्कप्लेस पर किन बड़े बदलावों की हकदार हैं "महिलाएं", जानिए यहां | EMPLOYEE

बॉलीवुड इंडस्ट्री में लगातार महिलाओं द्वारा पुरूषों पर सैक्शुअल हैरसमेंट के आरोप लगाए जा रहे हैं। मीटू कैंपेन (#metoo campaign) जोर पकड़ रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर वर्कप्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे कौन सी गाइडलाइन बनाई जाएं, जिससे ऐसे मामले सामने न आने पाएं। यौन उत्पीडऩ के बढ़ते मामलों के बाद हर महिला वर्कप्लेस पर खुद को असुरक्षित महसूस करने लगी है, इसके लिए जरूरी है कि उनके लिए वर्कप्लेस पर कुछ बदलाव करके उन्हें सुरक्षा और सम्मान प्रदान किया जाए। तो आइए जानते हैं कि महिलाओं के लिए ऐसे कौन से बड़े बदलाव वर्कप्लेस पर किए जा सकते हैं, जिसे वे वाकई डिजर्व करती हैं। 

# महिलाओं की उपस्थिति हर क्षेत्र में है। चाहे वह स्पोर्ट्स हो, इंजीनियरिंग हो या मेडिकल हो हर क्षेत्र में महिला कर्मचारी अधिक संख्या में नियुक्त हैं। ऐसे में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की है। कंपनी को ये तय करना चाहिए कि उनके ऑफिस में महिला कर्मचारी को किसी तरह की परेशानी न हो। अगर वह खुद को असुरक्षित और असहज महसूस करेगी तो कंपनी कभी तरक्की नहीं कर पाएगी। ऐसे में अपनी कंपनी के नियमों में बदलाव करते हुए ऑफिस एनवायरमेंट को फीमेल एम्प्लॉयी फ्रेंडली बनाएं। 

# आज हम ऐसे जमाने में रह रहे हैं, जहां जानवर भी उत्पीडऩ से बचे नहीं हैं। ऐसे में महिलाओं को यौन उत्पीडऩ जैसे मामलों से सावधान रखने और बचाने के लिए ईमानदारी सेक्युरिटी गाड्र्स की नियुक्ति की जानी चाहिए। साथ ही देर रात उन्हें लाने-जाने के लिए कैब की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसमें भी ड्राइवर ईमानदारी होना चाहिए। 

#  अशोका यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया कि 73 प्रतिशत महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद जॉब से रिसाइन देती हैं। ये महिलाओं के लिए सबसे बड़ी परेशानी होती है जॉब के साथ। ऐसे में कंपनी को चाहिए कि महिलाओं के लिए इस समस्या का समाधान जुटाते हुए उन्हें वर्क फ्रॉम होम यानि घर बैठे काम करने की सुविधा दी जानी चाहिए। साथ ही उनके लिए वर्क ऑवर्स को लेकर थोड़ी लचीला होना चाहिए। 

# अगर आपके ऑफिस में महिला कर्मचारी हैं, तो कोशिश हो कि यहां के मेल एम्प्लॉयीज सोच-समझकर बोलें। हंसी-मजाक में या किसी भी तरह गलत भाषा या शब्दों का उपयोग फीमेल कलीग्स के साथ नहीं करना चाहिए। कंपनी को चाहिए कि ऑफिस के मेल एम्प्लॉयीज द्वारा महिला कर्मचारियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर नजर रखे। 

#  चाहे बॉलीवुड हो या कॉर्पोरेट वल्र्ड हर जगह महिला कर्मचारियों को सैलरी को लेकर भेदभाव सहना पड़ता है। मॉनस्टर सैलेरी इंडैक्स के अनुसार भारत में महिला कर्मचारी पुरूषों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम कमाती  हैं। लॉजिक सिंपल होना चाहिए। बराबर काम तो बराबर सैलरी। ये हर वर्कप्लेस पर एक ऐसा बड़ा बदलाव है, जिसकी महिलाएं वाकई में हकदार हैं।

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