जब हवाईजहाज में घर का खाना ले जा सकते हैं तो मल्टीप्लेक्स में क्यों नहीं: हाईकोर्ट | NATIONAL NEWS

मुंबई। दर्शकों पर मनमाने नियम थोपने वाले मल्टीप्लेक्स संचालक अब सरकारी नियमों की जद में आने वाले हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि जनता के हित में काम करने के लिए चुनी गई महाराष्ट्र सरकार मल्टीप्लेक्स संचालकों के हित में काम कर रही है परंतु उसकी बेतुकी दलील हाईकोर्ट में खारिज हो गई। मामला मल्टीप्लेक्स में 06 रुपए की चाय 130 रुपए में बेचने का है। 

महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट में एफिडेविट दाखिल करके कहा था कि बाहर से खाना ले जाने की इजाजत देने से सुरक्षा संबंधी खतरा बढ़ेगा। मल्टीप्लेक्स की पाबंदी में सरकार कोई दखल नहीं देगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि मल्टीप्लेक्स में बाहर से खाना ले जाना सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है। कोर्ट ने पूछा कि जब विमान में भी लोग घर का खाना ले जा सकते हैं ताे थिएटर में क्यों नहीं? जस्टिस रंजीत मोरे और अनुजा प्रभुदेसाई की बेंच ने सरकार से पूछा कि बाकी किसी सार्वजनिक स्थल पर घर से या कहीं और से खाना लेकर जाने पर रोक नहीं है। 

सरकार भी मानती है कि सिनेमा हॉल में बाहर से खाना ले जाने से रोकने संबंधी कोई कानून नहीं। खाने से थिएटर में सुरक्षा को क्या खतरा होगा? मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ने कोर्ट को बताया कि थिएटर्स में पानी की सुविधा मुफ्त है। वहां बेचे जाने वाले सभी प्रकार के फूड और बेवरेज के दाम भी 20 प्रतिशत तक घटा दिए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आपका काम फिल्म दिखाना है, खाना बेचना नहीं।

ऐसे तो लोग होटल ताज में खुद का ड्रिंक ले जाने की मांग करेंगे: मल्टीप्लेक्स ओनर्स एसोसिएशन की ओर से एडवोकेट इकबाल चागला ने दलील दी कि थिएटर में खाना ले जाना मौलिक अधिकार नहीं है। मल्टीप्लेक्स में खाना बेचना कमर्शियल फैसला है, लेकिन बाहर के खाने पर रोक सुरक्षा कारणों से लगाई है। कोई भी यह नहीं जान सकता कि खाने के बहाने लोग क्या ले जा रहे हैं। आप एयरपोर्ट की बात कर रहे हैं, लेकिन वहां कड़े सुरक्षा इंतजाम होते हैं। दुनियाभर में थिएटर्स में खाने-पीने का सामान बाहर से लाने पर पाबंदी है। लेकिन न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन में कोई शिकायत नहीं करता। कल तो लोग मौलिक अधिकारों की दुहाई देकर ताज होटल और बाकी रेस्टोरेंट में खुद का ड्रिंक ले जाने की मांग करेंगे।

आपका काम फिल्म दिखाना है, खाना बेचना नहीं: हाईकोर्ट

कोर्ट ने यह दलील खारिज कर दी। कहा- मल्टीप्लेक्स की तुलना रेस्टोरेंट से नहीं कर सकते। हम सिर्फ सुरक्षा के मुद्दे पर बात करेंगे, क्योंकि सरकार ने यही दलील दी है। मल्टीप्लेक्स में बिक रहे सामान की कीमत बहुत ज्यादा होती है। खाना लाने पर रोक लगाकर आप परिवारों को महंगा जंक फूड खाने पर मजबूर करते हैं।

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में है बाहर से खाना ले जाने की अनुमति

याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता जैनेंद्र बख्शी की ओर से एडवोकेट आदित्य प्रताप ने बेंच को बताया कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक फैसले में थिएटर्स में बाहर से खाना ले जाने की इजाजत दी थी। राज्य सरकार की काउंसिल पूर्णिमा कांतहरिया ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर बेंच ने कहा- 'हम देखना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट क्या कहता है।' कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन से सरकार के एफिडेविट पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी। 
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