मप्र विधानसभा में फिर हो रहीं हैं गुपचुप भर्तियां, गोपनीय पत्र से हुआ खुलासा | MP NEWS

भोपाल। मप्र विधानसभा सचिवालय भर्ती मामलों को लेकर अक्सर विवादों में आ जाता है। दिग्विजय सिंह शासनकाल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्तियों का मामला कई सालों बाद सामने आया था। इस बार भर्ति प्रक्रिया पूरी होने से पहले एक इसका खुलासा हो गया। तृतीय वर्ग के रिक्त पदों के लिए सचिवालय ने ना तो कोई विज्ञापन जारी किया और ना ही परीक्षा आयोजित कराई। चुनिंदा रोजगार कार्यालयों में पंजीबद्ध बेरोजगारों को गोपनीय तरीके से जानकारी दी गई और भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई। बताया गया है कि इससे पहले भी ऐसे ही भर्तियां होती रहीं हैं। 

विज्ञापन देते तो हजारों आवेदन आ जाते: सचिवालय का कुतर्क
मध्यप्रदेश में शासकीय पदों पर भर्ती के लिए लोकसेवा आयोग या प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के माध्यम से परीक्षा कराने का प्रावधान है। विधानसभा के उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा को एक गोपनीय पत्र लिखकर इस पर आपत्ति जताई। यह पत्र अब लीक हो गया है। विधानसभा सचिवालय अब तर्क दे रहा है कि विज्ञापन देते तो आवेदकों की संख्या हजारों में आती, इसलिए प्रदेश के तमाम रोजगार दफ्तरों से ही पात्रता के अनुसार योग्य लोगों के आवेदन बुलवा लिए गए। इनकी संख्या भी एक हजार से अधिक हो गई है। 

पहले भी ऐसे ही हुईं हैं भर्तियां
बताया जा रहा है कि इससे पहले भी स्थानीय स्तर पर ही रोजगार दफ्तरों से ही भर्तियां कर दी गईं। हैरान करने वाली बात यह भी है कि रोजगार निर्माण और रोजगार समाचार में भी कोई सूचना प्रकाशित नहीं की गई। 

उपाध्यक्ष का गोपनीय पत्र जो लीक हो गया
विस सचिवालय ने जिला रोजगार कार्यालयों में जानकारी पूर्णत: नहीं भेजी। यह भी पता चला है कि कुछ चिन्हित जिलों को ही इस बारे में बताया गया है। इस तरह की भर्ती प्रक्रिया से विधानसभा जैसी संवैधानिक संस्था की छवि धूमिल हो रही है। बिना विज्ञापन के योग्य उम्मीदवारों की सेवाओं से सचिवालय वंचित रह जाएगा। कोई भी बेरोजगार कोर्ट जाएगा या लोकायुक्त में शिकायत करेगा। इससे विधानसभा शंका के दायरे में आएगी। 

विधानसभा में भर्तियां ऐसे ही होतीं हैं
विधानसभा में भर्तियां रोजगार दफ्तरों के माध्यम से आवेदन बुलाकर ही की जाती रही हैं। विज्ञापन करते तो संख्या काफी होे जाती। अबकी बार तो पूरे प्रदेश के रोजगार कार्यालयों से योग्य लोगों के आवेदन मांगे हैं। उपाध्यक्ष के पत्र की जानकारी नहीं। 
एपी सिंह, प्रमुख सचिव, विधानसभा 
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