HOUSING BOARD: उपभोक्ता को तंग करने वाले कर्मचारियों पर जुर्माना ठोका | CONSUMER FORUM

नई दिल्ली। देश भर के कई राज्यों से अक्सर शिकायतें आतीं हैं कि हाउसिंग बोर्ड अपने उपभोक्ताओं को बेवजह परेशान करता है। कई बार उपभोक्ता आधिकारिक शिकायतें भी करते हैं परंतु हालात में सुधार नहीं होता। ऐसे ही एक मामले में उपभोक्ता ने हाउसिंग बोर्ड को सबक सिखाया है। उसने उपभोक्ता फोरम ने केस ठोक दिया। उपभोक्ता फोरम ने फैसला सुनाया कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने की देरी नहीं की जानी चाहिए। ये सेवा में कमी है। उपभोक्ता फोरम ने 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है जो उन कर्मचारियों के वेतन से वसूला जाएगा जिन्होंने उपभोक्ता को परेशान किया था। 

मामला चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) का है। उपभोक्ता फोरम ने हाउसिंग बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह शिकायतकर्ता को 50 हजार रुपये मुआवजा और 10 हजार रुपये मुकदमा खर्च अदा करे। फोरम ने हाउसिंग बोर्ड को कहा है कि वे अपने कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करके उनसे यह राशि वसूल कर सकता है। यह निर्देश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-1 चंडीगढ़ ने सुनवाई के बाद दिया है। आदेश की प्रति मिलने के एक महीने में आदेश का पालन करना होगा। शिकायतकर्ता विजय कुमार गुप्ता निवासी सेक्टर-45 ने सेक्टर-9 स्थित चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दी थी।

शिकायतकर्ता विजय कुमार गुप्ता ने उपभोक्ता फोरम को दी शिकायत में कहा कि बोर्ड ने सेक्टर-45 ए में 7 अगस्त, 1992 को सुदर्शन कुमार गुप्ता और उसकी पत्नी रक्षा गुप्ता के नाम पर एक डवेलिंग यूनिट (फ्लैट) की अलॉटमेंट की थी। दोनों अलॉटीज उसके भाई और भाभी हैं। पारिवारिक समझौते के तहत भाई और भाभी ने 12 सितंबर 1996 को उक्त फ्लैट उनके नाम करने का फैसला लिया। इसके लिए सब रजिस्ट्रार से रजिस्टर्ड फैमिली सेटलमेंट डीड तैयार की गई। इसके बाद ही 24 जनवरी 2011 को शिकायतकर्ता ने यह फ्लैट उनके नाम ट्रांसफर करने के लिए बोर्ड के पास आवेदन किया। शिकायतकर्ता ने कहा कि इसके बाद से ही बोर्ड ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया।

उसे सेल ऑफ एग्रीमेंट देने के लिए बोला गया। 24 जुलाई, 2012 को उसे बोला गया कि उसके द्वारा सबमिट किए गए सभी दस्तावेज पूरे हैं, इसलिए उन्हें 1,49,970 रुपये ट्रांसफर फीस जमा करवाने के लिए बोला गया। इसके बाद भी उन्हें कुछ राशि जमा करवाने को कहा गया। इसके बाद 18 मार्च 2013, 27 जनवरी 2014, 1 सितंबर 2014 और 20 जून 2015 को कई बार रिक्वेस्ट की गई, लेकिन बावजूद उनके काम में यह देरी की गई। 

वहीं, हाउसिंग बोर्ड ने फोरम में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने सेवा में कोताही नहीं की है। फोरम ने यह भी कहा कि जब पहले ही पारिवारिक समझौते के तहत सब रजिस्ट्रार से रजिस्टर्ड फैमिली सेटलमेंट डीड तैयार की गई थी तो इस तरह देरी करना पूरी तरह से गलत है।
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