इंदौर-भोपाल हाइवे पर होगा किसान आंदोलन, गांव-गांव में तैयारियां

इंदौर। उत्तरप्रदेश में चुनाव से पहले पीएम मोदी ने किसानों को कर्जमाफी का ऐलान किया था। कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने किसानों को कर्जमाफी का वादा कर दिया है लेकिन मध्यप्रदेश में किसान अब भी समस्याओं का समाधान तलाश रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एक बार फिर किसानों की लामबंदी नजर आने वाली है। इस बार इंदौर-भोपाल हाइवे को किसान आंदोलन का केंद्र बनाया जाएगा। सैंकड़ों जत्थे इंदौर एवं रास्ते के अन्य इलाकों से निकलकर भोपाल की तरफ बढ़ेंगे। 

प्रदेश में हुए किसान आंदोलन की बरसी (2 जून) से एक महीने पहले किसान फिर एकजुट होने जा रहे हैं। 14 मई से किसानों का आंदोलन प्रारंभ होने वाला है। इसके तहत 14 से 21 मई तक किसानों के कई जत्थे इंदौर से भोपाल तक पैदल मार्च करेंगे। उपज के सही दाम नहीं मिलने, टीएंडसीपी के विवादित एक्ट में बदलाव सहित विभिन्न मांगों को लेकर किसानाें द्वारा भोपाल पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

भारतीय किसान सेना कर रही अगुवाई

किसानों के इस सात दिनी आंदोलन का नेतृत्व भारतीय किसान सेना द्वारा किया जा रहा है। आंदोलन से पहले किसान सेना की टीम संभाग की अलग-अलग पंचायतों में जाकर बैठक ले रही है। ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस पैदल मार्च में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है तथा साथ चलने वाले किसानों की सूची बनाई जा रही है।

यह है किसानों की मांग

नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का वह एक्ट, जिसमें जमीन जाने पर किसान किसी कोर्ट में अर्जी नहीं लगा सकता है, उसे वापस लिया जाए।
सभी किसानों को ऋण मुक्त किया जाए, चाहे राष्ट्रीय कृत बैंक/सहकारी बैंक का ओवरड्यू हो।
नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना का पानी किसानों से शुल्क लेकर सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जाए।
उज्जैनी से उज्जैन तक पानी ले जाने वाली पाइप लाइन को निरस्त किया जाए एवं सहायक नदियां जय जयवंती व आशावती नदियों में भी पानी छोड़ा जाए।
भावांतर योजना में मॉडल रेट को समाप्त कर शासन द्वारा घोषित मूल्य किसान को मिलना चाहिए।
कृषि व उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों के नाम पर की जाने वाली सभी प्रकार की खरीदी पर तुरंत रोक लगाई जाए व सीधे सब्सिडी उनके खाते में 30 दिन में प्रदान की जाए।
किसानों द्वारा खरीदे जाने वाले कृषि यंत्र मशीनरी आदि पर एमपी एग्रो की मध्यस्थता समाप्त की जाए।
शहर या ग्रामीण सीलिंग की भूमि जिस पर शासन का नाम दर्ज हो चुका है उसे हटाकर कब्जेधारी किसान का नाम दर्ज होना चाहिए।
शासन द्वारा अमूल की तर्ज पर सांची डेयरी का भी संचालन किया जाए।

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