मंत्रियों ने माना अतिथि विद्वानों के साथ अन्याय हो गया, सीएम से बात करेंगे

भोपाल। मुझे तो यही पता है कि सरकार ने आप लोगों (अतिथि विद्वानों) को 25 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय पर तीन साल के लिये संविदा के रूप में नियुक्त कर दिया है। सरकार सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिये पीएससी करा रही है यह मुझे जानकारी नहीं है। यह जवाब केबिनेट मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने आज सुबह तब दिया जब पिछले 20-22 वर्षो से प्रदेश के महाविद्यालयों में अध्यापन का कार्य कर रहे अतिथि विद्वान अपनी मांग (सहायक प्राध्यापकों की भर्ती संबंधी लोक सेवा आयोग के विज्ञापन को रद्द किया जाये) लेकर पहुंचे। 

जब अतिथि विद्वानों को संविदा नियुक्ति दे दी तो भर्ती क्यों: मंत्री राजेन्द्र सिंह

अर्थात उन्हें भी नहीं मालूम था कि सरकार ने सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिये लोकसेवा आयोग द्वारा न केवल विज्ञापन जारी किया है बल्कि जल्दी ही परीक्षा कराने के लिये समय सारिणी भी घोषित कर दी है। उनका कहना है सरकार ने जब संविदा नियुक्ति करने की घोषणा और आश्वासन दिया था तो पीएससी क्यों करा रही है? उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि इस संबंध में वह मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री से भोपाल में कल अर्थात 22 तारीख को बात करेंगे। 

मुझे भी नहीं पता, मैं उच्च शिक्षामंत्री और सीएम से बात करूंगा: गोपाल भार्गव

इसी तारतम्य में जब सागर के अतिथि विद्वानों ने रविवार को ढाना में शासकीय महाविद्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण करने आये केबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव से भी पीएससी को रोकने और संविदा नियुक्ति संबंधी मांग उनके सामने रखी तो उन्होंने भी कहा कि उनकी जानकारी में भी यही है कि आप लोगों को निश्चित वेतन मान पर संविदा नियुक्ति दी जा रही हैं। उन्होंने भी पीएससी संबंधी जानकारी से इंकार किया। उन्होंने कहा कि आप लागों की मांगें जायज है मै उच्च शिक्षा मंत्री से मैं बात करूंगा। 

उच्च शिक्षामंत्री जयभान सिंह पवैया ने घोषणा की थी

मुख्यमंत्री ने भी बार बार कहा कि दूसरे प्रदेशों के नहीं अपने ही प्रदेश के युवाओं को नौकरी अधिक से अधिक दी जाये इसके लिये अधिकारी नीति बनाये। नरोत्तम मिश्रा ने मुख्यमंत्री के इस कथन को प्रमुखता से मीडिया के सामने रखा था। उच्च शिक्षा मंत्री ने अतिथि विद्वानों के भोपाल में चल रहे आंदोलन को समाप्त करने प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में कहा था कि आप लोगों को निश्चित वेतन मान पर संविदा किया जायेगा। इस बात को उन्होंने भिंड में एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक मंच से दोहराया। 

अब PSC की परीक्षा हमारे लिए चीन की दीवार जैसी: अतिथि विद्वान

अतिथि विद्वानों का कहना है कि जिम्मेदारों के इन बयानों और घोषणाओं को क्या माना जाये...? नीति नियत और कारगुजारी में शिवराज सरकार का यह तांडव अतिथि विद्वानों को बहुत आहत कर रहा है। इसीलिये क्यों कि प्रदेश के पाॅंच हजार से अधिक अतिथि विद्वान जो कम मानदेय पर जीवन के थपेड़े सहते हुए पिछले 20-22 सालों से अध्यापन कार्य कर सरकार की सेवा करते आ रहे है वह उम्र के इस पढाव पर है कि उन्हें पीएससी परीक्षा चीन की दीवार को लांघने से कम नजर नहीं आ रही है। 

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करके वापस ले ली

सबका साथ सबका विकास की राह पर चलने का दंश भरने वाली शिवराज सरकार अतिथि विद्वानों के विनाश करने पर आमादा नजर आ रही है। सरकार की वादा खिलाफी ने सभी सीमाएं तोड़ दीं है। एक उम्मीद अतिथि विद्वानों को सरकार से न्याय की उस समय लगी जब सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने की घोषणा की। क्योंकि उच्च न्यायालय ने सरकार के उस निर्णय को अवैध करार दिया था जिसमें सरकार ने प्रदेश के अभ्यार्थियों को 45 और प्रदेश के बाहर के आवेदकों को 28 वर्ष आयु निर्धारित कर दी थी। इस समय सरकार ने पीएससी की तिथि को स्थगित करते हुए न्यायालय के इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने की न केवल तैयारी कर ली थी बल्कि अपील दायर भी कर दी थी लेकिन नौकरशाहों के दबाव और तुष्टिकरण के कारण सरकार ने अपील वापिस ले ली और फिर सरकार की आढ में नौकरशाहों द्वारा अतिथि विद्वानों को प्रताड़ित करने का खेल फिर शुरू हो गया। 

न्याय के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं: अतिथि विद्वान

प्रदेश के अतिथि विद्वानों में काफी रोष है। केबिनेट मंत्री शुक्ल को दिये ज्ञापन में उन्होेंने सरकार को चेतावनी दी है कि समय रहते पीएससी को निरस्त और उन्हें जाॅब की सुरक्षा नहीं दी गयी तो वह परिवार सहित धर्मपरिवर्तन जैसे कदम उठा सकती हैं तथा सरकार से इच्छामृत्यु भी मांग सकते है। यहां तक कहा कि वह अपनी मांगों को मनवाने किसी भी हद तक जा सकते है। जिसकी जिम्मेदारी शिवराज सरकार की होगी। 

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