मंडी में 1 रुपए किलो पहुंचा लहसुन, किसान गुस्साए, सरकार चुप | MP NEWS

इंदौर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े लहसुन उत्पादक मालवा में लहसुन के दामों में एतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। यहां 1 रुपए प्रतिकिलो में किसानों से लहसुन खरीदा जा रहा है। इस दाम से किसान भारी गुस्से में हैं। कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमला बोल दिया है लेकिन शिवराज सिंह सरकार इस मामले में अभी तक चुप है। अधिकारियों का कहना है कि आर्थिक मंदी का असर लहसुन के दामों पर पड़ रहा है जबकि कांग्रेसी इसे भाजपा और कारोबारियों की साजिश बता रहे हैं। 

दारुखेड़ा गांव में रहने वाले लहसुन किसान सूर्यभान सिंह रविवार शाम नीमच मंडी में लहसुन लेकर आया था। उनके लहसुन का दाम 2 रुपए किलो मिला जबकि 4 मई को मंदसौर जिले की शामगढ़ मंडी में लहसुन 1 रुपए किलो बिका। लहसुन के गिरते दाम को देखकर जमकर बवाल हुआ और किसानों ने मंडी कमेटी के दफ्तर को घेर लिया। हालात इतने बिगड़े की पुलिस और प्रशासन के अफसर मौके पर पहुंच गए। किसानों का हंगामा देखकर स्थानीय विधायक हरदीप सिंह डंक भी मोके पर पहुंचे थे उनका कहना था किसान पांच दिन से मंडी में लहसुन लेकर पड़े है। आज उनकी लहसून का भाव एक रूपए किलो रह गया। अब किसान के सामने इसे फेंकने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।

ऐसा ही मामला मंदसौर जिले की मंडी और पिपलिया मंडी में भी हुआ था। मंदसौर में एक तो लहसुन किसान राधेश्याम ने मंडी आयुक्त फैज अहमद किदवई के सामने लहसुन के ढेर पर चढ़कर हंगामा किया। इस दौरान बीजेपी प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर ने समझाने का प्रयास किया लेकिन वो नहीं माना और बोला हमें भाव नहीं मिल रहे हैं।

नीमच के पूर्व मंडी अध्यक्ष और किसान उमराव गुर्जर कहते है एक बीघा जमीन में लहसुन उपजाने में करीब बीस से बाइस हज़ार रूपए का खर्च आता है और एक बीघा में यदि 15 क्विंटल लहसुन पैदा हुई तो उसका दाम 1500 रूपए हुआ। यदि भावंतर के 800 रूपए जोड़ ले तो 12 हज़ार और मिल गए. इसमें ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और जोड़ दे तो बताइये किसान को मिला. क्या आज से तीन साल पहले लहसुन 150 से 200 रूपए किलो तक बिका है।

व्यापारी खरीदी ही नहीं कर रहे
इस पूरे मामले में लहसुन के कारोबारी का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण किसान परेशान है। सबसे खास बात यह की नीमच, मंदसौर में लहसुन उत्पादक इलाके जरुर है लेकिन यहां मात्र तीन लहसुन इंडस्ट्रीज है। बाकी सारा माल अन्य राज्यों में जाता है। जैसे नीमच, मंदसौर और जायरा मंडियों से लहसुन गुजरात के महुआ में जाता था। जहां देश के सर्वाधिक लहसुन प्रोसेसिंग प्लांट है लेकिन वहां आर्थिक मंदी के कारण प्लान बंद हो रहे है। जिससे व्यापारियों का पैसा अटक गया है। ऐसे में व्यापारी लहसुन खरीदेंगे कैसे और जब खरीदी नहीं होगी तो दाम गिरेंगे।

जनवरी से लगातार गिर रहे हैं दाम
इस मामले में लहसुन की ग्रेडिंग इंडस्ट्री चलाने वाले कारोबारी और भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी कमलेश मंत्री का कहना था लहसुन के कारोबार में आर्थिक मंदी है। नीमच, मंदसौर और जावरा के व्यापारियों का बेहिसाब पेमेंट गुजरात सहित अन्य राज्यों में अटका हुआ है। नीमच मंडी से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी महीने में लहसुन 50 से 80 रुपए किलो के भाव से बिके थे। उसके बाद से भाव लगातार नीचे गिरते जा रहे है। वहीं, पिछले साल वर्ष 2017 में लहसून का भाव जनवरी माह में 30 से 40 रुपए थे। जबकि नवंबर-दिसंबर 2017 में लहसून का भाव 4 रूपए से 20 रुपए किलो था।

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