
27 वर्षीय गीलू जोसेफ ने कहा “मैं वहीं करती हूं जो मुझे लगता है कि वह मेरे लिए ठीक है। मैं फेल हो सकती हूं लेकिन मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है। महिलाओं को बिना किसी निषेध और डर के आजादी के साथ ब्रेस्टफीड कराना चाहिए और आर्टिकल में यह मेरा संदेश भी था, लेकिन लोग इसपर आपत्ति जताने लगे, वो भी बिना जाने कि मैं क्या कहना चाह रही हूं।” आपको बता दें कि गृहलक्ष्मी के इस अंक के रिलीज होने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे लेकर सवाल करना खड़ा कर दिया था।
सोशल मीडिया यूजर्स का कहना था कि मैगजीन ने एक बच्चे के साथ मॉडल का उपयोग करते हुए एक अवास्तविक वर्णन क्यों किया है, जिसमें कि बच्चा खुद मॉडल का नहीं है? यूजर्स ने यह भी कहा था कि क्यों मॉडल को मांग में सिंदूर लगाए हुए दिखाया गया है जबकि वह खुद ईसाई है? इसी तरह कई यूजर्स ने इसके समर्थन में भी अपनी प्रतिक्रिया दी थीं। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मैगजीन ने एक अभियान लॉन्च किया था जिसका नाम ‘What’s shameful about breastfeeding in public?’ था। इस अभियान को केरल के कई कवियों और लेखकों ने अपना समर्थन दिया था।