बावरिया को लेना पड़ा यूटर्न, 350 दावेदारों के 2 करोड़ रुपए लौटाएंगे | MP NEWS

भोपाल। मप्र कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया को अंतत: यूटर्न लेना ही पड़ा। वो टिकट के दावेदारों से 50-50 हजार रुपए जमा करा रहे थे, परंतु अब यह फैसला वापस हो गया है। दावेदारों को उनके पैसे लौटाए जाएंगे। अब तक 350 दावेदारों ने 2 करोड़ रुपए जमा करा दिए थे। बता दें कि दीपक बावरिया ने पिछले दिनों ऐलान कर दिया था कि टिकट की दावेदारी करनी है तो 50-50 हजार रुपए जमा कराने होंगे। बावरिया के इस फार्मूला का कांग्रेस में तीव्र विरोध हुआ। 

कांग्रेस महासचिव दीपक बावरिया ने राहुल गांधी की नजरों में हीरो बनने के लिए यह शॉर्टकट यूज किया था। कांग्रेस इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रही है। मप्र में कांग्रेस जनता की आवाज बनने में नाकाम रही इसलिए उसे चंदा भी नहीं मिल रहा। गुजरात मूल के बावरिया ने फटाफट पैसा जुटाने के लिए नया फार्मूला खोज निकाला। दावेदारों से 50-50 हजार रु. का नॉन रिफंडेबल बैंक ड्राफ्ट मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाम जमा कराए जा रहे थे। दावेदारों से 2-2 हजार रु. का ड्राफ्ट नेशनल हेराल्ड के नाम और 1-1 हजार रुपए की रसीद पार्टी की सदस्यता के नाम पर काटी जा रही थी। यह राशि जमा करने की अंतिम तारीख 30 मार्च थी। 

प्रदेश कांग्रेस के इस फैसले का प्रदेश कांग्रेस के सीनियर लीडर्स की कमेटी में वरिष्ठ नेता कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विरोध किया था। अजय सिंह तो इस फैसले के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए थे। इसकी वजह सीधे तौर पर प्रत्याशियों से राशि जमा कराए जाने का अच्छा मैसेज नहीं जा रहा था। सिंधिया और अजय सिंह का साफ कहना था कि टिकट पाने वाले व्यक्ति का आधार सिर्फ उसकी चुनाव जीतने की योग्यता होना चाहिए। 

नया खेल शुरू हो गया था कांग्रेस में
कांग्रेस पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले दावेदार 50 हजार रुपए जमा करने की शर्त पर एक के बजाए दो सीटों से भी चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। इनमें कांग्रेसी नेता ने विजय चौधरी (बाबू) ने होशंगाबाद-इटारसी और सिवनी मालवा सीट से चुनाव लड़ने के लिए 1 लाख 6 हजार रुपए जमा कराए थे। इस सीट की दावेदारी के लिए शिवाकांत पांडे ने भी इसी तरह शिव मंडलोई और केदार सिंह मंडलोई ने कालापीपल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हुए डिमांड ड्राफ्ट जमा किया था। वहीं, भोपाल उत्तर से रशीद चांद, मिनेंद्र डागा ने गाडरवाड़ा और अजीत सिंह ने उज्जैन और भक्ति तिवारी ने निवाड़ी समेत अन्य विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने के लिए 50 हजार रुपए के डिमांड ड्राफ्ट जमा कराए थे। 

अब क्या बोले बावरिया
दीपक बावरिया, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव एआईसीसी का कहना है कि पार्टी के सीनियर लीडर्स का यह मानना था कि टिकट चाहने वालों से 50 हजार रुपए लिया जाना ठीक नहीं है। इसके बाद फैसला वापस ले लिया गया है, जिन दावेदारों ने राशि जमा कराई है। उसे उन्हें वापस कराया जाएगा। 

खुद को सीईओ, कांग्रेस को कंपनी समझ रहे थे बावरिया
दरअसल, दीपक बावरिया मप्र कांग्रेस कमेटी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और खुद को कंपनी का सीईओ समझ रहे थे। अपने हर फैसले पर राहुल गांधी की सील बता दिया करते थे जिसके चलते कांग्रेसी चुप हो जाते थे। बिना किसी से मशविरा किए फैसले कर रहे थे। 50-50 हजार वसूलने का फैसला भी बावरिया का निजी फैसला था। इसी तरह फार्मूला 60 भी बावरिया का निजी फैसला है। 

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