
दिवंगत ASI द्वारा आत्महत्या से पूर्व लिखे गए पत्र से की गई छेड़छाड़ से स्व-प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि पूरा मामला संदिग्ध है। विशेष कर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक की भूमिका, जिनपर पत्र से अपना नाम मिटाने के भी आरोप है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है- जिसकी उपेक्षा करना गैर-ज़िम्मेदाराना होगा। इस लिए यह गम्भीर जांच का विषय है- इसलिए इस पूरे प्रकरण की जांच CBI द्वारा कराए जाने से ही सत्यता उजागर हो सकेगी –
श्री सिंधिया ने मांग की की सीबीआई जांच मे ही इन बिन्दुओं का खुलाशा हो पायेगा कि
1. ASI रघुवंशी की आत्महत्या प्रकरण में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक की आखिर क्या भूमिका थी?
2. क्या जिले के पुलिस प्रमुख के रूप में उन्होंने निष्पक्षता से कार्य किया?
3. कहीं राज्य सरकार पुलिस अधीक्षक को बचाने का प्रयास तो नही कर रही?
4. अब तक तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रकरण दर्ज क्यो नहीं किया गया?
5. राज्य सरकार द्वारा मौखिक रूप से CBIजांच का वादा करने के बावजूद, इसके लिए कोई सिफारिश क्यों नहीं की गयी?
उन तमाम परिस्थितियों की जांच होना चाहिए,जिनके चलते ASI श्री रघुवंशी को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा, या उनकी हत्या की गयी? हमारी मांग है कि उक्त सारे मामले की CBI जांच हो ताकि सही तथ्य सामने आ सके व दोषियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर उचित कार्रवाई की जा सके। वैसे तो राज्य सरकार को तत्काल मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए थी, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाने का परिणाम है, कि मुझे बाध्य होकर भारत के सबसे बड़ी पंचायत के समक्ष उक्त मुद्दा उठाना पड़ रहा है। हमें आशा ही नहीं, पूरा विश्वास भी है कि मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए, भारत सरकार के गृह मंत्री CBI से जांच कराने के निर्देश देंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। हमें पूरी उम्मीद है कि इस लड़ाई में पूरा सदन एक स्वर में हमारे साथ खड़े होकर पीड़ित के परिवारजनों को न्याय दिलाने में सहयोग देंगे।