अफसरों ने फाइलों में दबा रखीं हैं 4 लाख नौकरियां | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। सरकार जहां रोजगार सृजन के लिए उपाय करने में जुटी है, वहीं नौकरशाही के ढुलमुल रवैये के चलते केंद्र में ही लाखों पद खाली पड़े हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार में कर्मचारियों के चार लाख से ज्यादा पद खाली हैं। खास बात यह है कि ग्रुप ए के अधिकारी वर्ग में ही 15 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की पे रिसर्च यूनिट की वेतन और भत्तों पर ताजा रिपोर्ट से इस बात का पता चला है। यह रिपोर्ट वित्त वर्ष 2016-17 से संबंधित है और इसे हाल ही में विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया है। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार केंद्र सरकार में असैन्य कर्मचारियों के कुल 36.34 लाख पद स्वीकृत हैं। इनमें से 32.21 लाख पद ही भरे हुए हैं। इस तरह केंद्र सरकार में 11.36 फीसद पद खाली हैं। रिपोर्ट के अनुसार ग्रुप बी के अराजपत्रित 29.52 फीसद पद खाली हैं। ग्रुप बी राजपत्रित के 19.33 फीसद पद रिक्त पड़े हैं। वहीं ग्रुप ए के 13 फीसद पद खाली हैं। वैसे सबसे ज्यादा रिक्तियां ग्रुप सी में हैं। ग्रुप सी में 3.21 लाख पद खाली हैं।

कन्फेडेरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर के उपाध्यक्ष अशोक कनौजिया का कहना है कि आयकर और रेलवे जैसे अहम विभागों में बड़ी संख्या में पद खाली हैं। सवाल यह है कि जिस देश में करोड़ों युवा बेरोजगार हैं, वहां पर भर्तियां क्यों नहीं हो रही हैं? शीर्ष नौकरशाही के ढुलमुल रवैये के चलते ये रिक्तियां बढ़ती जा रही हैं।

गौरतलब है कि रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। बुधवार को नीति आयोग की ओर से बुलाई गई अर्थशास्त्रियों की बैठक में भी रोजगार सृजन के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में अर्थशास्त्रियों ने साफ कहा कि सरकार को रोजगार सृजन पर फोकस करना चाहिए। हालांकि बैठक के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार से केंद्र सरकार में चार लाख से ज्यादा रिक्तियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने जवाब दिया कि इस संबंध में बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की अर्थशास्त्री राधिका पांडेय का कहना है कि सरकार रोजगार सृजन पर जोर दे रही है। इसलिए खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने की जरूरत है। कर्मचारियों की समयबद्ध नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए भर्ती नियमों में सुधार किया जाना चाहिए। जब भी कोई पद खाली हो, बेरोजगार युवाओं को भर्ती किया जाना चाहिए।

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