
कैसे हुआ हमला?
हमला मिस्र के अल अरिश शहर की अल-रावदा मस्जिद पर हुआ। MENA स्टेट न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ‘"मस्जिद के पास बम प्लांट किया गया था। धमाके के बाद जब लोगों ने बचकर भागने की कोशिश की तो बाहर सड़क किनारे खड़ी चार गाड़ियों में बैठे आतंकियों ने उन पर फायरिंग कर दी।
किन लोगों को निशाना बनाया गया?
मिस्र के मसरिया टीवी स्टेशन के मुताबिक, जिस मस्जिद को निशाना बनाया गया, वह सूफी संत शेख ईद अल जरीरी की जन्मभूमि है। यहां सूफीवाद को मानने वाले लोग नमाज अदा करने आते थे। इन सूफियों को मिस्र के आतंकी संगठन इस्लाम विरोधी मानते हैं। हमले के बाद मिस्र की सरकार ने 3 दिन के शोक का एलान किया। प्रेसिडेंट अब्देल फतह अल-सीसी ने इस घटना पर चर्चा के लिए इमरजेंसी मीटिंग बुलाई।
2011 के बाद बढ़े हमले
जनवरी 2011 में पूर्व प्रेसिडेंट होस्नी मुबारक का शासन खत्म होने के बाद से ही नॉर्थ सिनाई इलाके में हमले बढ़ गए थे। पूर्व इस्लामिस्ट प्रेसिडेंट मोहम्मद मुर्सी के निष्कासन के बाद पुलिस और मिलिट्री पर हमले और तेज हो गए। तब से अब तक मिस्र में 700 से ज्यादा सिक्युरिटी पर्सनल्स ने जान गंवाई है। 2014 में यहां सुसाइड बॉम्बिंग की घटना में 31 सैनिक मारे गए थे। इसके बाद प्रेसिडेंट अल-सीसी ने पेनिन्सुइला में स्टेट ऑफ इमरजेंसी का एलान तक कर दिया था।
हमले का शक किस पर?
मिस्र के सिनाई प्रांत में कई आतंकी सक्रिय हैं। ये काहिरा और आसपास के शहरों में लगातार हमले करते रहे हैं। ये आईएसआईएस से जुड़े हैं। इन आतंकियों ने ही रूस के एक प्लेन को गिराने की जिम्मेदारी ली थी। माना जाता है कि सिनाई में मौजूद आतंकियों की तादाद 1000 से 1500 के बीच है।