
गेट पर संतरी को तैनात कर दिया गया है, जिससे लोग अंदर न घुस पाएं। यहां तक थानों में आने-जाने वाले लोगों की एंट्री की जा रही है। पुलिस के इस कदम से जहां, फरियादियों को परेशानी हो रही है, वहीं पत्रकार आक्रोशित हैं जो नियमित रूप से थानों में रिपोर्टिंग के लिए जाते हैं।
मीडिया को रोकने के लिए लगाया पहरा
डीआईजी केसी जैन से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि मीडिया थाने के अंदर तक चली जाती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। मीडिया को जानकारी देने के लिए पीआरओ नियुक्त किया जा रहा है। वहीं घटनाओं की जानकारी देगा। एसपी के फरमान के बारे में उनका कहना है कि लिखित में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। मौखिक तौर पर किया गया तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
उजागर हो चुके हैं पुलिस के भ्रष्टाचार
पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर है। लोकायुक्त ने हाल ही में दो इंस्पेक्टरों को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। खरगापुर के टीआई हिमांशु चौबे पर अवैध वसूली की शिकायत एसपी तक पहुंची है। इसके पहले बड़ागांव का एएसआई भी रिश्वत लेते पकड़ा जा चुका है। ऐसे में खाफी वर्दी शर्मसार हो रही है। इन तमाम घटनाओं को देखकर कहा जा सकता है कि पुलिस विभाग में सब कुछ ठीक नहीं है। अपनी खामियों से बौखलाए पुलिस अफसर अब मीडिया से दूरी बनाने और थानों की पारदर्शिता पर पर्दा डालने का मन बना चुके हैं।
मीडियाकर्मियों के लिए है ये नियम
एसपी कुमार प्रतीक का कहना है कि थानों में आसामाजिक तत्वों को रोकने के पाबंदी लगाई गई है। कई बार भीड़ में आसामाजिक तत्व भी थानों में घुस जाते हैं। मीडिया के साथ ऐसा नहीं है। मीडियाकर्मी अपना आईडी कार्ड दिखाकर अंदर जा सकते हैं। अब सवाल यह है कि जब मीडियाकर्मी थाने जाएगा तो उसे भी आने का कारण बताना पड़ेगा। यहां तक कि रजिस्टर में एंट्री करना पड़ेगी।