वडनगर में स्टेशन ही नहीं था, मोदी ने चाय कहां बेची: वायरल पोस्ट का पूरा सच

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर करते हुए पीएम मोदी से सवाल पूछते हुए यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि पीएम मोदी का वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने का दावा झूठा है। वायरल तस्वीर में सवाल पूछा गया है, 'तुम्हारा (नरेंद्र मोदी) जन्म 1950 में हुआ और वडनगर में 1973 में ट्रेन चली, तब तुम 23 साल के थे। 20 की उम्र में तुमने घर छोड़ दिया तो चाय कब बेचते थे?' इस तस्वीर के अलावा भी सोशल मीडिया पर कई लोग अलग-अलग तरीके से यही सवाल उठा रहे हैं।

हम यह दावा तो नहीं करते कि पीएम मोदी ने वडनगर रेलवे स्टेशन पर कभी चाय बेची थी लेकिन इस तस्वीर के माध्यम से फैलाए जा रहे झूठे तथ्य के बारे में आपको जरूर बताएंगे। असल सवाल यह है कि क्या 1973 से पहले वडनगर रेलवे स्टेशन नहीं था? इस सवाल का जवाब जानने के लिए जब हमने पड़ताल शुरू की तो हम पश्चिमी रेलवे की वेबसाइट पर पहुंचे, जहां 'भारतीय रेलवे का इतिहास' नामक पीडीएफ में हमने पाया कि मेहसाणा और वडनगर के बीच एक रेलवे लाइन थी और यह लाइन 21 मार्च 1887 को खुली थी। 

रेलवे के दस्तावेज के मुताबिक वडनगर में रेलवे का इतिहास
आगे की पड़ताल में हमें जानकारी मिली कि अंग्रेजी शासन के दौरान व्यापार के लिए गुजरात के कई जिलों में रेलवे लाइन बिछाई गई थी। इन्हीं में वडनगर की रेलवे लाइन भी थी। एक अन्य सोर्स के मुताबिक, यह रेलवे लाइन बड़ोदा स्टेट के द्वारा गायकवाड़ के राज में बनवाई गई थी। बड़ोदा राज्य कपास पैदा करने के मामले में आगे था और गायकवाड़ को लगा कि अमेरिकी नागरिक युद्ध (1861-1865) के चलते आपूर्ति में व्यवधान के दौरान इंग्लैंड में बाजारों के लिए कपास की आपूर्ति की जा सकती है। 

इसके अलावा 'वडनगर-एक प्राचीन नगर' नामक ब्लॉग में दावा किया गया है कि ब्लॉग में बताया गया है कि 1893 में वडनगर स्टेशन के पास एक ऐंग्लो-वर्नैक्यूलर स्कूल भी खोला गया था। यानी स्टेशन पहले से मौजूद था। 'शोधगंगा' विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं द्वारा लिखे गए लेखों (थीसिस) का ऑनलाइन संग्रह है। इस साइट पर उपलब्ध एक थीसिस में भी इस स्कूल का जिक्र है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले इसी सवाल को कुछ दिन पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने भी उठाया था।

लेकिन हमारी पड़ताल में यह दावा पूरी तरह से गलत साबित हुआ जिसमें कहा गया है कि वडनगर में पहली ट्रेन 1973 में आई। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, वडनगर में 1973 से काफी पहले ही रेलवे लाइन बन चुकी थी और वहां स्टेशन भी मौजूद था। हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि मोदी ने स्टेशन पर चाय बेची थी।
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