पहले ही हमले में 20 लाख लोग मर जाएंगे: युद्ध का अनुमान

उत्तर कोरिया और अमेरिका जिस तरह हर रोज़ एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं, उससे दुनिया पर तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा लगातार मंडरा रहा है। खतरा इसलिए भी ज़्यादा है, क्योंकि उत्तर कोरिया के तानाशाह मार्शल किम जोंग उन के बारे में कहा जाता है कि वो किसी की नहीं सुनता। ऐसे में अगर कहीं गलती से भी जंग छिड़ गई तो उसका अंजाम क्या होगा, इसका सही-सही अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है लेकिन अब साउथ कोरिया की एक न्यूज़ एजेंसी की जंग को लेकर जो ताज़ा रिपोर्ट तैयार की है, उसकी महज़ एक पंक्ति ही किसी के भी रौंगटे खड़े कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया और जापान पर हुआ पहला हमला ही एक झटके में 20 लाख से ज़्यादा लोगों की जान ले लेगा।

ट्रंप और किम के तल्ख लहजों के बाद अब ज़्यादा कुछ बचता नहीं है कहने सुनने को। बस यूं समझिए कि बारूद को चिंगारी की देर भर है। मगर अपनी ज़ाती दुश्मनी मानकर जिस तरह ये दोनों नेता एक दूसरे को बुरा भला कह रहे हैं। वो दुनिया के लिए यकीनन शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि इस गर्मागर्मी में कहीं अगर जंग शुरू हो गई तो बहुत मुश्किल होगी। अमेरिका से बढ़ते तनाव के बीच अगर किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया और जापान पर हमला कर दिया तो एक झटके में करीब 20 लाख लोग जान से हाथ धो बैठेंगे। इतना ही नहीं इस हमले में कुछ हजार या कुछ लाख नहीं, बल्कि करीब 70 लाख लोग घायल भी होंगे।

न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट में खौफनाक खुलासा
साउथ कोरियन न्यूज़ एजेंसी योनहॉप ने ये डराने वाली रिपोर्ट तैयार की है. एजेंसी के रिपोर्ट के मुताबिक नॉर्थ कोरिया की मौजूदा ताकत को देखते हुए इस तरह की आशंका जताई गई है कि जंग के हालात कोरियाई पेनिनसुला के लिए बहुत घातक होंगे. ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई है जब अमेरिका उत्तरकोरिया के नज़दीक से बॉम्बर उड़ा रहा है और नॉर्थ कोरिया जापान के ऊपर से मिसाइलें दाग रहा है.

भयंकर होगी तबाही
कौन कितना ताकतवर है अब इस बात के ज़्यादा मायने बचे नहीं हैं. क्योंकि उत्तर कोरिया भी परमाणु बमों से लैस. लिहाज़ा पहल कही से भी हो तबाही भयंकर होने वाली है. ऐसे में दुनिया इन दोनों नेताओं के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर रही है. खुद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने पहल की अपील की है. जिमी कार्टर ने दोनों देशों की तल्खी दूर करने के लिए ट्रंप प्रशासन की तरफ से उत्तर कोरिया जाने की इच्छा जताई है.

पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का कहना है कि युद्ध के हालात को देखते हुए वह अमेरिका प्रशासन की तरफ से उत्तर कोरिया जा सकते हैं. उन्होंने अपने दोस्त और ट्रंप के सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर से अपनी इच्छा जताई है. लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है.

पहले हमला कर सकता है किम
1977 से 1981 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जिमी कार्टर के मुताबिक किम जोंग उन के बारे में कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है. अगर उसे शक़ हो गया कि अमेरिका उत्तर कोरिया के खिलाफ कुछ बड़ा करने जा रहे हैं तो वो उससे पहले ही बड़ा कदम उठा लेगा. ये हमला परमाणु हमला भी हो सकता है. जिससे दक्षिण कोरिया, जापान और प्रशांत क्षेत्र में स्थित अमेरिकी ठिकाने बर्बाद हो सकते हैं. इससे पहले भी कार्टर बिल क्लिंटन के कार्यकाल में प्योंगयांग जा चुके हैं. तब उन्होंने उत्तर कोरिया के तत्कालीन शासक किम इल सुंग से समझौते की कोशिश की थी. जो किम जोंग उन के दादा थे.

अमेरिकी रणनीति हो सकती है नाकाम
हालांकि इस बात की उम्मीद कम ही है कि ट्रंप प्रशासन समझौते के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर को उत्तर कोरिया भेजे. क्योंकि अमेरिका के लिए किम जोंग उन सीधे तौर पर खतरा नहीं है. लेकिन उसकी सनक का खामियाज़ा जापान और दक्षिण कोरिया को उठाना पड़ सकता है. जापान और दक्षिण कोरिया की तबाही का मतलब ये है कि पूर्व एशिया में कई अमेरिकी ठिकानों को नुकसान उठाना पड़ेगा और उसका असर ये होगा कि चीन को अपने कब्जे में लाने की अमेरिकी रणनीति नाकाम हो जाएगी.

हमले से पीछे नहीं हटेगा किम
ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन ने भी आशंका जताई है कि भले उत्तर कोरिया की ताकत इतनी न हो कि वो पूरी तरीके से अमेरिका तक अपनी मिसाइलों से मार कर सके लेकिन इतना जरूर है कि वह सियोल और जापान को बर्बाद कर देगा. ऐसे में अगर जंग होती है तो टोक्यो ही नहीं सियोल भी उत्तर कोरिया के निशाने पर होगा. आपको बता दें कि उत्तर कोरिया से सियोल महज़ 40 मील की दूरी पर है. जो उसकी रेंज में आसानी से आएगा. उत्तर कोरिया बार-बार इस बात को कह चुका है कि अगर अमेरिका कोई भी पहल करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. और वो अपनी मिसाइलों से दक्षिण कोरिया, जापान और गुआम को निशाना बनाने से पीछे नहीं हटेगा.

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