11 हजार बेरोजगारों से ठगी वाली कंपनी के अधिकारी गिरफ्तार

जयपुर। सेन्ट्रल गवर्नमेंट व कृषि विभाग के लोगो लगाकर बड़ी एग्रीकल्चर कंपनी में अलग-अलग पद पर नौकरी देने के नाम पर प्रदेश के 11 हजार बेरोजगारों से 80 लाख रुपए की ठगी होने का मामला सामने आया है। मामले की पोल उस समय खुल गई जब कंपनी के कर्मचारी जयपुर में इंटरव्यू लेने पहुंचे। ठगी के बारे में पता चलने पर कमिश्नरेट क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मी बेरोजगार बनकर इंटरव्यू में शामिल हुए। इसके बाद मामला खुला और क्राइम ब्रांच ने इंटरव्यू लेने वाले तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया।

तीनों कर्मचारी मोती लाल अटल रोड स्थित होटल नीलम पैलेस में इंटरव्यू ले रहे थे। गिरफ्तार तीनों आरोपी मनीष पांचाल, समीर दीक्षित व दीपक वर्मा इंदौर की एग्रीकल्चर एडं एनीमल हैजबेंडरी कॉरपोरेशन के कर्मचारी है। इनके पास से पुलिस ने कंपनी के आई कार्ड सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व लेपटॉप जब्त किए है। कंपनी के डायरेक्टर अविनाश अजमेरा व पंकज वर्मा है, जिनकी तलाश की जा रही है। 

कोतवाली एसीपी सुमित कुमार ने बताया कि आरोपियों ने कंपनी की वेबसाइट पर करीब दो माह पहले स्टेट हैड, एरिया मैनेजर, डिस्ट्रीक्ट मैनेजर, डिस्ट्रीक्ट ऑफिस व एमआईएस ऑफिसर के पद पर 1600 लोगों को भर्ती करने के लिए आवेदन फार्म अपलोड किया था।

यह पद राजस्थान सहित एमपी, यूपी व बिहार के लिए थे। अलग-अलग पद व कैटेगरी वाइज आवेदन शुल्क लगाकर फॉर्म भरवाए थे। आवेदन शुल्क 700 रुपए लेकर पद व कैटेगरी वाइज था। इन पदों के लिए चारों राज्यों से 10694 बेरोजगार युवाओं ने आवेदन किया था। उसके बाद कंपनी ने 8688 लोगों को इंटरव्यू के लिए सलेक्ट करके अलग-अलग शहरों के हिसाब से जगह बताकर इंटरव्यू की तारीख दे दी।

ये हैं तीन ठग, ऐसे पकड़े गए
क्राइम ब्रांच के एसआई धर्मसिंह ने बताया कि बुधवार को जयपुर में शुरु हुए इंटरव्यू के दौरान अभ्यार्थियों को शक हुआ तो किसी ने पुलिस को सूचना दी। उसके बाद वह हैड कांस्टेबल सरदार, द्वारका प्रसाद, पुरुषोत्तम, कांस्टेबल भुराराम, रामनिवास, मनेन्द्र, बिशनसिंह व अविनाश लेकर होटल नीलम में चल रहे इंटरव्यू में शामिल हो गए। जहां पर दो घंटे तक निगरानी रखकर जांच की तो इंटरव्यू फर्जी लगने के बाद उच्चाधिकारियों को सूचना देकर इंटरव्यू लेने वाले तीनों कर्मचारियों को पकड़कर जालूपुरा थाने ले गए। आवेदन फॉर्म के अनुसार भर्ती होने वाले युवाओं को 10 हजार से लेकर 50 हजार तक सैलरी देने के बाते लिखी हुई है। जबकि कंपनी के पास इतने लोगों को इतनी सैलरी देने जैसी कोई इनकम सामने नहीं आई।

सरकार की ओर से कंपनी को ऐसी कोई अनुमति नहीं
प्राथमिक जांच में सामने आया कि कंपनी के पास केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा किसी प्रकार की अनुमति नहीं है। केवल इंदौर नगर निगम द्वारा खाद बीज बेचने का लाइसेंस मिला जो इंदौर तक सीमित है। इसके बावजूद भी कंपनी ने सरकारी लाेगो लगाकर लोगों को भ्रमित करके आवेदन फार्म जारी कर दिया। बिहार में इंटरव्यू लेने के बाद तीनों कर्मचारी चार दिन पहले राजस्थान में कोटा आए, जहां दो दिन इंटरव्यू लेने के बाद बुधवार को जयपुर पहुंच गए। जयपुर की नीलम होटल में यह इंटरव्यू 29 अक्टूबर होने थे। बाद टीम जोधपुर जाने वाली थी।

 मोटी तनख्वाह...इसी से हुआ शक
पीडित शाहपुरा निवासी भारत शर्मा का कहना है कि कंपनी ने वेबसाइट व आवेदन फॉर्म में सेन्ट्रल गवर्नमेंट व कृषि विभाग के कई लाेगो लगा रखे थे। इसलिए विश्वास करके 700 रुपए शुल्क लगाकर आवेदन किया था। उसके बाद इंटरव्यू के लिए कॉल लैटर मिला तो बुधवार को बस का किराया देकर जयपुर आ गए लेकिन इंटरव्यू लेने वाले कर्मचारियों से बातचीत करने व उनके द्वारा बताए गए काम व सैलरी सुनकर शक हुआ तो पीडितों ने पुलिस को सूचना दी। भर्ती होने वाले कर्मचारियों को जिले वाइज किसानों के पास जाकर उनके मोबाइल में कंपनी एप डाउनलोड करवाना था।

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