
पत्रकार श्री वैभव श्रीधर की एक रिपोर्ट के अनुसार लंबित राजस्व मामलों का निराकरण करने के लिए मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह के संभागीय दौरों से राजस्व प्रशासन सक्रिय हुआ है। डायवर्जन और नजूल के बकाया की वसूली भी तेजी से हो रही है। इसको लेकर कमिश्नर से लेकर नायब तहसीलदार तक पीठासीन अधिकारी की हैसियत से आदेश पारित कर रहे हैं।
अधिकार पूरी निष्पक्षता और बिना किसी भय के अपने कामों को अंजाम दे सकें, इसके लिए तय किया गया है कि जिस तरह न्यायाधीशों को विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, उसी तरह राजस्व अधिकारियों को भी कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके लिए इन्हें भी जजेज प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि राजस्थान सहित में कुछ अन्य राज्यों में इस तरह के प्रावधान भी हैं। तहसीलदार संघ इसको लेकर लंबे समय से मांग भी कर रहा था।
अपील तो होगी पर व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं
सूत्रों का कहना है कि प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में आने पर कमिश्नर से लेकर नायब तहसीलदार द्वारा किए जाने वाले फैसलों की अपील तो होगी, लेकिन उन्हें उसके लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकेगा। इनके खिलाफ किसी फैसले को आधार बनाकर न्यायिक प्रकरण भी नहीं चलेगा। अधिसूचना जारी कर इस प्रावधान को लागू किया जाएगा।
कैबिनेट करेगी अंतिम फैसला
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरुण पांडे ने बताया कि राजस्व से जुड़े मामलों का निराकरण जल्द हो, इसके लिए सरकार कई स्तर पर काम कर रही है। इसके तहत अधिकारियों को कामकाज संबंधी सुरक्षा प्रदान करने की बात सामने आई है। इसे देखते हुए कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा कि कमिश्नर से लेकर नायब तहसीलदार को जजेज प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में लाया जाए। अंतिम फैसला कैबिनेट करेगी।