
क्यों बदले जाते हैं नाम
भारत में शहरों या सड़कों के नाम बदलने की पुरानी परंपरा है परंतु उनके पीछे तर्क होते हैं। हाल ही में दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया। इसके पीछे तर्क था। औरंगजेब एक हमलावर था जिसने भारत को लूटा। उसके नाम पर सड़क या शहर का नाम उचित नहीं कहा जा सकता। जबकि एपीजे अब्दुल कलाम एक देशभक्त वैज्ञानिक थे। वो अपनी योग्यता के कारण भारत के राष्ट्रपति बने। उन्हे याद करना गर्व की बात है।
नाम बदलने में क्या परेशानी है
किसी भी शहर का नाम बदलने में लम्बी सरकारी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। हर दस्तावेज में नाम परिवर्तन होता है। लोगों के पास रजिस्ट्रियां रखीं हैं जिनमें उनका घर कोलार में है। कई सारे अनुबंध हैं जो कोलार में संपत्ति प्रदान करने का वचन देते हैं। केवल डाक का पता नहीं बदलेगा बल्कि भोपाल का हर सरकारी दस्तावेज बदल जाएगा। यदि गिनती की जाए कि कितने दस्तावेजों में परिवर्तन करना होगा तो एक प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि यह कम से कम एक ट्रक भरकर होंगे। इस प्रक्रिया में करोड़ों रुपए खर्च हो जाएंगे। कोलार के सभी नागरिकों को अपने वोटर आईडी और आधार कार्ड बदलवाने पड़ेंगे। स्कूल और दुकानों से लेकर अस्पतालोें तक सबको अपनी स्टेशनरी बदलवानी पड़ेगी। शहर भर में लगे विज्ञापन बोर्ड बदलने होंगे।
कोलार नाम में क्या आपत्ति थी
सवाल यह भी है कि कोलार नाम में क्या आपत्ति थी। विधायक रामेश्वर शर्मा का कहना है कि कोलार कोई नाम ही नहीं है। इसका कोर्इै अर्थ नहीं होता। कोलार एक बांध का नाम है। 17 किलोमीटर की पाइप लाइन यहां से गुजरी है इसलिए इस बस्ती का नाम कोलार रख दिया। सच तो यह है कि इस आबादी का अब तक कोई नाम ही नहीं है। हमने पहली बार इस क्षेत्र को एक नाम दिया है।
क्या है कोलार डेम का महत्व
भोपाल के लिए कोलार डेम काफी महत्वपूर्ण है। यह सीहोर जिले में बनाया गया है परंतु इससे भोपाल की प्यास बुझती है। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग से मिल रही जानकारी के अनुसार भोपाल की 60 प्रतिशत आबादी को यह बांध पेयजल मुहैया कराता है। यहां करीब 20 मेगावॉट बिजली भी पैदा की जाती है। इससे हजारों किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलता है। भोपाल की शान बड़े तालाब की तरह यह बांध भी भोपाल की धड़कन है। कोलार शहर का नाम इसी बांध के नाम पर रखा गया था।
क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर प्रचलित हो पाएगा
शिवराज सिंह सरकार ने इस इलाके का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर रखा गया है। सवाल यह है कि क्या इतना बड़ा नाम प्रचलन में आ पाएगा। ज्यादातर शहरों के नाम एक शब्द के होते हैं। इसमें 4 शब्द हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि लोग इसे SPM नगर कहने लगेंगे। तात्याटोपे नगर को लोग टीटी नगर कहते हैं, महाराणा प्रताप नगर को एमपी नगर कहा जाता है। यदि ऐसा हुआ तो कुछ सालों बाद लोगों को ध्यान भी नहीं रह जाएगा कि यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर है। जिन्होंने तिरंगे की शान में बलिदान दिया।