
महासचिव नीमगांवकर ने कहा कि हम सातवां वेतनमान देने के लिए पिछले एक माह से लगातार सहकारिता मंत्री, मुख्यमंत्री, शासन में बैठे अधिकारियों को लगातार ज्ञापन दे रहें हैं तथा उनसे मिलकर हम मांगों को मनवाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन बड़े दुख का विषय है कि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही हैं। जिसके कारण हड़ताल पर जाने का निर्णय लेना पड़ा है।
मप्र बैंक एम्पलाईज एसोसएिशन के महासचिव एवं कर्मचारी नेता बी.के. शर्मा ने कहा है कि बैंको में बड़े उद्योगपतियों को डिफाल्टर मानकर उनका लोन माफ किया जा रहा है जिससे बैंकों को घाटा होना दिखाते हैं लेकिन जो कर्मचारी दिन रात मेहनत कर रहा है उसको सातवा वेतनमान नहीं देना सरकार को डिफाल्टर होना दिखाता है। कोई भी बैंक घाटे में नहीं होता बल्कि सरकार की नीतियां और उसमें बैठे बड़े अधिकारियों की नीति के कारण बैंक घाटे में जाता है।
मप्र बैंक एम्पलाईज एसोसएिशन के महासचिव बीके शर्मा ने कहा है कि एक किसान को लोन नहीं चुका पाने के कारण उसका ट्रेक्टर जब्त कर लिया जाता है उसको जेल में ठूस दिया जाता है लेकिन बड़े-बड़े धन्नासेठ जिन्होंने खरबों रूप्ये लोन लेकर अपने आपको डिफाल्टर घोषित कर दिया है तो उनकी अन्य कम्पनियां जो लाभ में चल रही हैं उनसे वसूली की जाए। लोन नहीं चुकाया जाना अपराध की श्रेणी में आना चाहिए।
चिनार पार्क में हुई सभा को महासचिव जीआर. नीमगांवकर, बैंक एम्पलाईज एसोसिएषन के महासचिव बी.के. शर्मा, अनिल बावनिया , विमल दुबे , म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेश राठौर ने संबोधित किया।