ना RSS ना BJP: मप्र में शिवराज की फौज पर फोकस

भोपाल। चुनावी तैयारियों को लेकर सामान्यत: दिग्गज नेता अपनी पार्टी की सदस्यता बढ़ाते हैं, ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी की विचारधारा से जोड़ते हैं परंतु मप्र में कुछ और ही चल रहा है। यहां 'शिवराज के सिपाही' का भर्ती अभियान युद्ध स्तर पर जारी है। कहा जा रहा है कि अब तक 20 हजार से ज्यादा सक्रिय वालंटियर्स की भर्ती की जा चुकी है। जबकि लिस्ट में 50 हजार के आसपास नाम जमा हो गए हैं। इनमें गैर राजनैतिक लोग भी शामिल हैं। पूरा अभियान सीएम शिवराज सिंह से जुड़े कुछ लोग संचालित कर रहे हैं। मप्र शासन के कुछ अधिकारी भी इस मिशन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। 

'शिवराज के सिपाही' की शुरूआत सरकारी खर्चे से बने मोबाइल एप शिवराज सिंह के जरिए की गई थी। गूगल प्ले स्टोर से यह एप 10 हजार से 50 हजार लोगों के बीच डाउनलोड किया जा चुका है। औसत संख्या 25 हजार मानी जा रही है। पिछले दिनों एप डाउनलोड कर चुके लोगों को संदेश भेजा गया कि 'आप शिवराज के सिपाही हैं और मिशन 2018 में काम करने के लिए तैयार रहें।' एप डाउनलोड करने वाला हर व्यक्ति अपने आप शिवराज का सिपाही बन गया है। वालेंटियर्स को एक वॉट्सएप नंबर भी मुहैया कराया गया, ताकि सभी वालेंटियर्स से एक साथ संपर्क किया जा सके। इस तरह से चुनाव के वक्त उन्हे सरकारी एप से बाहर निकालकर वाट्सएप ग्रुप के जरिए निर्देशित किया जा सकेगा। 

चैन मार्केटिंग प्लान की तर्ज पर हो रही है भर्ती
अब यह अभियान सरकारी एप से बाहर भी आ गया है। शिवराज की फौज में कई कमांडर्स आ चुके हैं। इनमें भाजपा के कार्यकर्ता, गैर राजनैतिक समाजसेवी एवं नौकरशाह व कर्मचारी भी शामिल हैं। docs.google.com पर एक फार्म बनाया गया है। यह फार्म लोगों के बीच शेयर किया जा रहा है। खेल चैन मार्केटिंग की तरह हो रहा है। जो सिपाही जितने ज्यादा सिपाहियों की भर्ती करेगा, उसे उतनी ही ज्यादा तवज्जो दी जाएगी। हर सिपाही से अपील की जा रही है कि वो कम से कम 3 सिपाहियों को भर्ती करे। फार्म में संबंधित व्यक्ति की पूरी जानकारी मांगी जा रही है। फार्म पढ़ते ही समझ आ रहा है कि यह सारी चुनावी तैयारी है। सबसे बड़ी युक्ति यह है कि यदि किसी ने एक बार 'शिवराज के सिपाही' का फार्म भर दिया तो वो सीधे शिवराज की फौज के कमांडर, कर्नल और शिवराज सिंह की आर्मी के चीफ से कनेक्ट हो जाएगा। 

सोशल मीडिया पर सबकुछ बदल गया
सोशल मीडिया पर भी बड़ी ही बारीकी के साथ फोकस किया जा रहा है। अब तक CMMadhyaPradesh के फेसबुक और ट्वीटर पेजों को प्रमोट किया जाता था परंतु अब ChouhanShivraj को प्रमोट किया जा रहा है। फेसबुक पर सीएम के पेज पर 10 लाख लाइक्स हैं जबकि शिवराज सिंह के पेज पर 40 लाख से ज्यादा। इसी तरह ट्वीटर पर सीएम के हेंडल पर 5 लाख के करीब फोओलर्स जबकि शिवराज सिंह के हेंडल पर करीब 30 लाख। कुल मिलाकर शिवराज सिंह चौहान का अस्तित्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन से अलग कर दिया गया है और अब फोकस शिवराज सिंह चौहान पर हो रहा है। 

आरएसएस और भाजपा पर भरोसा नहीं रहा
शिवराज सिंह चौहान को नजदीक से जानने वालों को पता है कि उनकी दीवार पर टंगा केलेण्डर अगले साल की तारीख बताता है। वो अपनी तैयारियां उस समय शुरू कर चुके होते हैं जबकि लोग चुनाव के बारे में विचार भी नहीं करते। मप्र में इस बार शिवराज सिंह विरोध की लहर है लेकिन शिवराज की फौज के कमांडर्स का मानना है कि यह विरोध की लहर केवल आरएसएस/भाजपा और व्यक्तिगत हितों के कारण नाराज हुए मीडिया घरानों के बीच ही है। आम जनता आज भी ​सीएम शिवराज सिंह को प्यार करती है। इसी धारणा के चलते 'शिवराज के सिपाही' की भर्ती की जा रही है। यह फौज कई तरह के हमले करने के काम आएगी। एक तरफ यदि भाजपा की सदस्यता प्राप्त कार्यकर्ताओं ने शिवराज का प्रचार करने से इंकार कर दिया तो यह फौज मोर्चा संभाल लेगी वहीं दूसरी ओर जब शिवराज के खिलाफ दिग्गज एकजुट होकर चुनावी हमला करेंगे तब इस फौज के आंकड़े पेश करके शिवराज सिंह जनता के दिलो में मौजूद अपने प्यार को प्रमाणित कर देंगे। 
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