
मान्यता है कि इस शिव मंदिर की स्थापना महाभारत काल में अश्वथामा ने करवाई थी। यह भी मान्यता है कि अश्वथामा आज भी अलसुबह भगवान शिव की पूजा करने आते है। इसलिए इस मंदिर पर स्थानीय लोगों की अटूट श्रध्दा है।
माना जाता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. लेकिन मां को प्रसन्न करना इतना आसान भी नहीं है। इसके लिए करना होता है विशेष अनुष्ठान, जिसमें भक्त को पीले कपड़े पहनने होते हैं, मां को पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं और फिर मांगी जाती है मुराद।
खंडेश्वर महादेव, धूमावती के दर्शनों का मिलता है सौभाग्य
कहते हैं विधि विधान से अगर अनुष्ठान कर लिया जाए तो मां जल्द ही पूरी कर देती हैं भक्तों की मनोकामना। मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है और इसी रुप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है। मंदिर के दायीं ओर विराजते हैं खंडेश्वर महादेव, जिनकी तांत्रिक रुप में पूजा होती है।