मंदसौर: तिरंगे में निकली किसान की शवयात्रा

मंदसौर। पुलिस फायरिंग में मारे गए 6 किसानों में से एक किसान के शव को सड़क पर रखकर चक्काजाम किया एवं जाम खुलवाने आए कलेक्टर को घेरकर पीटा तो दूसरे किसान के शव को तिरंगे में लपेटकर शवयात्रा निकाली गई। किसान मजदूर संघ ने आज मध्यप्रदेश बंद का आह्वान किया है। मंदसौर, रतलाम, उज्जैन में किसान सड़कों पर हैं। कांग्रेस समेत देश के तमाम विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे दिया है। मप्र का किसान आंदोलन अब देश का मुद्दा बन गया है। 

1 जून से शुरू हुआ है आंदोलन
अपनी फसलों के लिए सही दाम सहित 20 सूत्री मांगों को लेकर राज्य में पिछले 1 जून से किसान आंदोलन कर रहे थे। इसी दौरान मंदसौर में विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया और यहां हुई गोलीबारी में 6 किसानों की मौत हो गई। चश्मदीदों ने पुलिस पर फायरिंग का आरोप लगाया है, हालांकि जिला प्रशासन ने किसानों के उग्र होने के बावजूद उन पर पुलिस फायरिंग से इनकार किया है। इस घटना के बाद प्रशासन ने इलाके में कर्फ्यू लगा दिया है, वहीं आप-पास के इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी।

किसान नेताओं पर इनाम घोषित
कांग्रेस से जुड़े राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने मंदसौर में हुई किसानों की मौत के विरोध में बुधवार को राज्य भर में बंद का आह्वान किया है. इस बीच पड़ोसी रतलाम जिले के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने इस घटना के बाद फरार बताए जा रहे किसान नेता और कांग्रेस से जुड़े डीपी धाकड़, राजेश भार्गव और भगवती पाटीदार की गिरफ्तारी पर 10,000 रुपये का इनाम घोषित किया है.

एक करोड़ मुआवजे का ऐलान 
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर हिंसा में मारे गए 6 किसानों के परिजनों के लिए एक-एक करोड़ रुपये मुआवजे और गंभीर रूप से घायलों को पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है. इसके अलावा मृतक किसानों के परिवार में से एक सदस्य को नौकरी भी दिए जाने की घोषणा की है. इससे पहले मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे की राशि 10 लाख रखी थी, हालांकि राज्य में बढ़ते विवाद और किसानों के गुस्से को देखते हुए उन्होंने इसे बढ़ाने का ऐलान किया है. समाजवादी पार्टी ने भी मृतकों के लिए 2-2 लाख के मुआवजे का ऐलान किया. 

सीएम ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया
सीएम शिवराज ने विरोध-प्रदर्शन का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस ने हिंसा भड़काने का सुनियोजित प्रयास किया, जिसकी बलि कुछ साथी चढ़ गए. मंदसौर की घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए शिवराज ने किसानों से धैर्य रखने की अपील की और कहा कि वे किसी के बहकावे में ना आएं.

कमलनाथ और सिंधिया बोले- इतिहास का काला दिन 
वहीं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे काला दिन करार देते हुए कहा कि सत्ता के नशे में चूर सरकार किसानों के अधिकार की लड़ाई को कुचलना चाहती है। सिंधिया ने इसे प्रदेश के लिए काला दिन बताते हुए ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश के इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। हमारे अन्नदाताओं पर गोली चलाना दुखदायी और दिल को दहलाने वाला है। प्रदेश के लिए ये एक काला दिन है। सिंधिया ने साथ ही कहा कि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे अन्नदाताओं के खिलाफ सत्ता के नशे में मगरूर सरकार तानाशाहपूर्ण तरीके से उनकी आवाज को कुचलना चाहती है। उन्होंने इसे लेकर अपना एक विडियो भी जारी किया है।

कलेक्टर के साथ धक्का-मुक्की
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत के बाद राज्य की सियासत गरमाने लगी है. इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है. मंदसौर में प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर के साथ धक्कामुक्की की और उनके कपड़े तक फाड़ दिए. प्रदर्शनकारियों ने उन्हें और उनके साथ मौजूद अन्य अधिकारियों को वहां से खदेड़ दिया.

कांग्रेस-बीजेपी में ठनी
कांग्रेस ने जहां इसे लेकर राज्य की बीजेपी सरकार को घेरते हुए राज्य भर में बंद का आह्वान किया है, वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे कांग्रेस की सुनियोजित साजिश करार दिया है. इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने मंदसौर जाने वाले थे, लेकिन प्रशासन ने उनके हेलीकॉप्टर को लैंडिंग की इजाजत देने से इनकार कर दिया. वहीं राहुल की इस यात्रा से पहले उनकी करीबी मानी जाने वाली मिनाक्षी नटराजन को पुलिस को हिरासत में ले लिया है.

AAP भी हमलावर
मंगलवार को मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों के ऊपर हुई गोलीबारी और किसानों की मौत पर आम आदमी पार्टी की मध्यप्रदेश इकाई ने सीएम शिवराज सिंह का इस्तीफा मांगा है. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान AAP के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि CM शिवराज जनरल डायर की तरह गोली चलवा रहे हैं.

आंदोलन क्यों हुआ...? 
मध्य प्रदेश के किसान नेताओं का कहना है कि किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है. जितना पैसा वे अपनी फसल उगाने में लगा रहे हैं, उतना उन्हें उसे बेचने में नहीं मिल रहा है. इससे किसान की हालत बहुत खराब हो गई है और वे कर्ज के तले दबे हुए हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन सरकार किसानों के गेहूं को इस कीमत पर नहीं खरीद रही है, जिसके कारण उन्हें अपने उत्पाद को 1200 रुपये से 1300 रुपये प्रति क्विंटल मजबूरी में बाजार में बेचना पड़ रहा है. इससे ज्यादा कीमत पर कोई भी किसान से गेहूं खरीदने को तैयार नहीं है. प्याज एवं संतरे तो बहुत ही कम दाम मिलने के कारण किसानों को फेंकने पड़ रहे है.

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !