महाराष्ट्र में हिंसक हुुआ किसान आंदोलन, कई वाहन फूंके, गोलियां चलीं

मुंबई। कल्याण के नेवाली एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन की वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान आज हिंसक हो गए। पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष हुआ। लोगों का कहना है कि गोलियों की आवाज सुनी गई। किसानों ने कई वाहन फूंक दिए। इलाके में तनाव पसर गया है। बता दें कि सरकार ने ​यह जमीन एयरपोर्ट बनाने के लिए अधिग्रहित की थी परंतु अब यहां सेना का केंप लगाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि या तो एयरपोर्ट बनाओ नहीं तो जमीन वापस करो। 

कल्याण-हाजी मलंग रोड पर स्थित नेवाली गांव के किसान पिछले कई दिनों से अपनी जमीन को वापस देने की मांग को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे थे। कुछ साल पहले सरकार ने यहां एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों ने जमीन ली थी। बाद में यहां सेना का कैम्प बनाने की तैयारियां शुरू हो गईं। असल में सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय यह जमीन ब्रिटिश आर्मी के कब्जे में थी। देश आजाद हुआ और इस पर किसानों ने अपना हक जमा लिया। सेना अब फिर इस जमीन पर अपना अधिकार चाहती है। किसान इसी बात का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन हवाई अड्डे के लिए ली गई थी, इसलिए यहां एयरपोर्ट ही बनना चाहिए।

किसान कई दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट कर रहे थे, लेकिन गुरुवार को आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। आंदोलनकारी किसानों ने गुरुवार को सड़क पर खड़ी कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया। इस घटना के बाद से कल्याण से हाजी मलंग जाने वाले रास्ते पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद है। चश्मदीदों ने मौके से गोलियां चलने की बात भी कही है।

एक जून को शुरू हुआ था आंदोलन
1 जून को अहमदनगर के पुणतांबा से किसानों ने आंदोलन के शुरु किया था। यह 8 जून तक चला। राज्य के कई हिस्सों में हिंसा हुई। फसल, सब्जियों और दूध की बर्बादी हुई। 8 किसानों ने खुदकुशी की। राज्य में जरूरी सामान की किल्लत हो गई थी। दूध के टैंकर्स पुलिस सिक्युरिटी में निकालने पड़े। सरकार में शामिल शिवसेना ने भी किसानों का पक्ष लेते हुए समर्थन वापसी की तरफ इशारा तक कर दिया था।

सीएम ने किए ये वादे
2 जून को फड़णवीस ने किसानों को 31 अक्टूबर तक कर्ज माफी के मुद्दे पर फैसला लेने का भरोसा दिलाया था। ये भी कहा कि किसानों के बिजली के बिलों को भी माफ किया जाएगा। किसान आंदोलन 2 गुटों में बंट गया था। संघ और बीजेपी से जुड़े किसान नेताओं ने आंदोलन वापस लेने का एलान किया था। इसके बाद भी विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। स्वाभिमानी किसान संगठन, भूमाता किसान आंदोलन और अन्य संगठनों ने यह आंदोलन जारी रखा था। आंदोलन को अन्ना हजारे और नाना पाटेकर ने भी सपोर्ट किया था।

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