शादी का वादा करके बनाए यौन संबंध रेप नहीं: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

नई दिल्ली। देशभर में आए दिन हजारों एफआईआर दर्ज होतीं हैं कि आरोपी युवक ने शादी का वादा करके यौन संबंध बनाए फिर वादा तोड़ दिया। पुलिस ऐसे मामलों में धारा 376 के तहत रेप केस फाइल करती है परंतु दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में टिप्पणी की है कि इस तरह के यौन संबंध रेप के दायरे में नहीं आते। हाई कोर्ट ने कहा कि लड़की के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह शादी के वायदे पर शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत दे दे। 

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि सेक्सुअल असॉल्ट के मामले में पहले से ये नहीं माना जा सकता कि लड़की सब कुछ सही ही बोल रही है। रेप मामले में ये तयशुदा नियम हैं कि लड़की का बयान अगर हाई क्वॉलिटी का और विश्वसनीय है तो सजा हो सकती है। बयान अहम पार्ट है, लेकिन साथ ही अभियोजन पक्ष को केस बिना संदेह के साबित करना होता है। मौजूदा मामले में लड़की का बयान अविश्वसनीय है और ऐसे में आरोपी को बरी किया जाता है। लड़की का आरोप था कि आरोपी ने शादी का वादा कर उसके साथ संबंध बनाए थे। इस मामले में लड़की के बयान पर रेप का केस दर्ज किया गया था। 

शादी के वायदे पर संबंध की सहमति
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लड़की 31 साल की थी। वह फिजिकल रिलेशन के अंजाम को जानती थी। रिकॉर्ड में ये बातें साबित नहीं हो पाई कि विक्टिम ने शादी के वायदे के कारण संबंध बनाने की सहमति दी थी। लड़की ने तीन साल तक शादी के लिए आरोपी पर दबाव नहीं डाला। इस बात का जिक्र अपने माता-पिता से नहीं किया। उसने अपने माता-पिता को नहीं बताया कि शादी का वादा कर आरोपी ने उसके साथ संबंध बनाए हैं। बल्कि माता-पिता ने उसके लिए लड़का देख रहे थे। तब भी उसने नहीं कहा कि वह किसी और से शादी करने जा रही है। 

आरोपी और लड़की के बीच ईमेल का जो रिकॉर्ड है, उसमें लड़की ने कभी भी आरोपी से शादी के बारे में नहीं कहा। 2008 के जनवरी में जब पहली बार शारीरिक संबंध बनाने तक शादी का वादा नहीं किया गया था। लेकिन लड़की ने उसके बाद भी कोई शिकायत नहीं की, बल्कि तीन साल तक वह शादी के कथित वायदे पर चुप रही और इस दौरान लगातार दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए। यहां तक कि लड़की ने अपने घर में भी आरोपी के साथ संबंध बनाए। हाई कोर्ट ने कहा कि लड़की के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह शादी के वायदे पर शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दे। 

लड़की ने तीन साल तक कोई शिकायत नहीं की
हाई कोर्ट ने कहा कि 3 साल लड़की ने मर्जी से संबंध बनाए। इस बारे में उसने कोई शिकायत नहीं की। जब आरोपी ने दूसरी लड़की से शादी का फैसला किया तो उसने शिकायत की। इस मामले में ट्रायल कोर्ट की तरफ से आरोपी को बरी किए जाने का फैसला सही है और उसमें दखल की जरूरत नहीं है। इस मामले में निचली अदालत के फैसले को अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। 

क्या है यह मामला 
मामला छावला इलाके का है। लड़की एक कंपनी में ट्रेनिंग कर रही थी, जबकि आरोपी ट्रेनर था। इस दौरान दोनों में जान पहचान हुई और बाद में दोनों फोन पर बात करने लगे। इस दौरान दोस्ती और गहरी हुई और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। पुलिस के मुताबिक, इस दौरान जनवरी 2008 में आरोपी ने लड़की को अपने घर बुलाया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। बाद में भी दोनों के बीच की कई बार संबंध बने। इस मामले में लड़की ने शिकायत की कि आरोपी ने उसके साथ शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने 6 अक्टूबर 2011 को केस दर्ज किया। लड़की का मेडिकल कराया गया और फिर केस चला। आरोपी ने कहा कि उसे फंसाया गया है। ट्रायल कोर्ट ने मामले में कहा कि लड़की के बयान में तारतम्यता और एकात्मकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंध के लिए लड़की की सहमति थी और आरोपी ने शादी का वादा नहीं किया था। आरोपी को निचली कोर्ट ने बरी कर दिया, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट के सामने आया था।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !