उपदेश अवस्थी/शैलेन्द्र गुप्ता/भोपाल। यूं तो राहुल गांधी इटली चले गए हैं लेकिन मप्र में वो एक प्रतियोगिता का आयोजन तय करके गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भोपाल में 'सत्याग्रह' की जिम्मेदारी सौंपी है तो कमलनाथ को 'किसान महापंचायत' की लीडरशिप सौंप दी गई है। बता दें कि ये दोनों नेता मप्र में आने वाले चुनाव में कांग्रेस की ओर से सीएम कैंडिडेट बनना चाहते हैं। सोनिया गांधी से नजदीकी के कारण कमलनाथ ने अपने नाम पर मुहर लगवा ही ली थी परंतु राहुल गांधी ने फैसला टाल दिया और अब किसान आंदोलन के बहाने दोनों नेताओं का मैदानी परीक्षण किया जा रहा है।
मप्र में हुए किसान आंदोलन को कांग्रेस ने समय रहते भुनाने की कोशिश की है। मंदसौर में हुई पुलिस फायरिंग में 5 किसानों की मौत के बाद खुद राहुल गांधी मंदसौर आ पहुंचे थे। हालांकि शिवराज सिंह सरकार ने उन्हे मंदसौर में प्रवेश नहीं करने दिया परंतु नेशनल लेवल पर मोदी सरकार को तनाव और शिवराज सरकार को बदनाम करने में वो सफल रहे। अपनी साख बचाने के लिए सीएम शिवराज सिंह उपवास पर बैठे तो राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भोपाल भेज दिया। सिंधिया 14 जून से 72 घंटे के 'सत्याग्रह' पर बैठ गए हैं।
इसी के साथ एआईसीसी ने नया कार्यक्रम जारी कर दियां। प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ने बताया है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद श्री कमलनाथ 17 जून को खलघाट जिला में होने वाली ‘‘विशाल किसान महापंचायत’’ में शिरकत करेंगे।
दोनों नेताओं को ज्वलंत मुद्दे पर एक एक कार्यक्रम देकर राहुल गांधी शायद परीक्षण कर रहे हैं। वो देखना चाहते हैं कि ज्वलंत मुद्दों पर दोनों नेता किस तरह से सरकार को घेर पाते हैं और किसानों को वापस कांग्रेस की तरफ मोड़ने में कितना कारगर साबित होते हैं। मीडिया में गुटबाजी की भी कुछ चर्चाएं चल रहीं हैं परंतु हाईकमान ने संगठन को एकजुट होकर दोनों नेताओं के साथ खड़े रहने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में यदि कोई क्षेत्रीय क्षत्रप दोनों नेताओं के प्रदर्शन में खलल डालने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ संगठनात्मक कार्रवाई हो सकती है। अब देखना यह है कि सिंधिया और कमलनाथ के बीच शुरू हुए इस घरेलू 20-20 ट्रॉफी किसके हाथ लगती है।