बालाघाट विस्फोट: पुलिस और प्रशासन की लापरवाही है 26 मौतों की जिम्मेदार

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिले में किरनापुर तथा अभी हाल ही में खैरी गांव में हुये बारूदी विस्फोट जिसमें 26 महिला पूरूषों की मौत हो गई इस घटनाक्रम के लिये जिला प्रशासन तथा पुलिस की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। फैक्टी को लाईसेंस देने तथा उसका नवीनीकरण किये जाने के दौरान प्रशासन तथा पुलिस ने मौके का भौतिक सत्यापन किया होता तो इस घटना को टाला जा सकता था लेकिन अन्य मामलों की तरह ही दोनों विभाग ने सारी कार्यवाही टेबिल पर ही निपटा दी। 

बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित जिला है खनिज सम्पदा से भरपूर इस जिले में उत्खनन के लिये बारूद का नियमित इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसके इस्तेमाल के लिये जो नियमों में प्रावधान है उसकी पूरी अनदेखी की गई। प्रशासन और पुलिस से अनुमति लेकर खदानों में विस्फोट के लिये बारूद का इस्तेमाल किया जाना लगभग नही की बराबर होता है ठेकेदार अपनी मनमर्जी से जब चाहे तब बारूद का इस्तेमाल करके विस्फोट करते हैं जिसकी आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है जो शायद प्रशासन तक नही पहुंचती। इन विसंगतियों के चलते तहसील मुख्यालय वारासिवनी के समीप कायदी की गिट्टी खदान में बारूद के अनाधिकृत इस्तेमाल का एक मामला प्रकाश में आया था  जिसको राजनैतिक हस्ताक्षेप के चलते मामूली जुर्माना कर निपटा दिया गया।

सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम कायदी बनियाटोला के खसरा नंबर 171/1,2,3 एवं खसरा नंबर 172 रकबा 0.889 हेक्टर पर गिट्टी खदान तथा क्रेसर पट्टाधारी श्रीमति शबाना खान पत्नी माजिद खान निवासी वारासिवनी को स्वीकृत है इनकी खदान में 6/3/13 को 9.625 कि.ग्रा., 8/3/13 को 7.5 कि.ग्रा., 11/3/13 को 4 कि.ग्रा. तथा 20/3/13 को 7.355कि.ग्रा. इस प्रकार इन चार दिनों लगभग 28 किलोग्राम बारूद लगाकर खदान में विस्फोट किया गया जिसकी सूचना वारासिवनी पुलिस थाने में ठेकेदार द्वारा नही दी गई। 

विस्फोट स्थल खदान के समीप 450 मीटर की दूरी पर वैनगंगा सिंचाई संभाग की नहर तथा 500 मीटर की दूरी पर वारासिवनी-बालाघाट मुख्य मार्ग स्थित है खदान के आसपास कृषि योग्य भूमि है जिसमें हाईटेशन लाईन ले जाई गई है खदान क्षेत्र से आबादी लगी हुई है इस बावजूद आवश्यक संकेत चिन्ह लगाये बिना ही दिन और रात में विस्फोट किया गया विस्फोट का धमाका इतना भयवाह था की जिसको सुनकर घर से लोग बाहर निकालकर आ गये। विस्फोट से पत्थर दूर दूर तक बिखरकर गिरे थे।

इसकी शिकायत किये जाने पर खनिज निरीक्षक बालाघाट मौके का मुआयना किया गया मुआयनें के पंचनामे में यह उल्लेख किया गया है की 7 मीटर से अधिक गहरी खदान में ब्लास्टिंग की सूचना डी जी एम एस धनबाद तथा आई बी एम नागपूर एवं जिला दण्डाधिकारी को दिये जाने और उनसे अनुमति प्राप्त करने का प्रावधान है लेकिन इसके बिना ही इतनी भारी मात्रा में बारूद लगाकर ब्लास्टिंग की गई।

खनिज निरीक्षक ने पंचनामें में यह उल्लेख किया है कि पट्टाधारी द्वारा मध्यप्रदेष गौण खनिज अधिनियम 1996 के नियम 30की शर्त क्रमांक 11,13,24, क,ख,ग, का उलघंन किया गया। इस पंचनामें के आधार पर अग्रिम कार्यवाही के लिये खनिज अधिकारी बालाघाट द्वारा कलेक्टर महोदय को प्रस्तुत किया गया जिस पर मात्र 6 हजार रूपये का का जुर्माना कलेक्टर द्वारा लगाकर मामले को निपटा दिया गया।

इस ब्लास्टिंग के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी वारासिवनी पुलिस को लिखित शिकायत की गई थी लेकिन पुलिस द्वारा लीजधारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही की गई ना ही उनसे इतनी बडी मात्रा में विस्फोट पदार्थ के इस्तेमाल के बारे में कोई पूछपरख नही की गई।

अनुविभागीय अधिकारी पुलिस वारासिवनी को  की गई शिकायत तथा शिकायत की जांच के दस्तावेज की फाइल ही गायब है इस तरह बारूद के इस्तेमाल व उसका दुरूपयोग किये जाने के मामले में जिला प्रशासन और पुलिस का ऐसा रोल रहेगा तो किरनापुर और खैरी जैसी घटनाओं को होने से नही रोका जा सकता?

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